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चूरू की इस बेटी के ड्रीम के घरवाले भी थे खिलाफ: लेकिन अब ना केवल परिवार बल्कि पूरा देश कर रहा सलाम
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राजस्थान भले ही अब इतना ही प्रगतिशील क्यों ना हो चुका हो यहां महिलाओं को अब पुरुषों के बराबर आजादी और अधिकार मिल चुके हैं लेकिन आज के कई साल पहले स्थिति बिलकुल विपरीत थी।
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद लड़कियों की छोटी उम्र में शादी कर दी जाती थी। ऐसे ही हालात राजस्थान के चुरू जिले के तारानगर इलाके की एक लड़की के साथ हुई। लेकिन उस लड़की ने अपने मन की करने की ही ठानी।
इस लड़की का नाम है ममता। जिसका बचपन से ही सपना आसमान की ऊंचाइयों को छूना था। ऐसे में ममता ने एयर होस्टेस बनने की ठानी। लेकिन इसके लिए ममता को शहर आकर पढ़ाई करनी थी।
जब उसने यह बात अपने पिता को बताई तो पिता उसे शहर भेजने के लिए तैयार हो गई। लेकिन पूरा परिवार बेटी के खिलाफ था। गांव के लोग अलग अलग ताने देते थे। कहते थे नाक कटा देगी मत जाने दो।
लेकिन जैसे-तैसे ममता दिल्ली पहुंच गई। लेकिन उसके सामने यहां सबसे बड़ा संकट यह खड़ा हुआ कि उसे अंग्रेजी बोलना नहीं आता था। लेकिन लगातार ममता इसकी प्रैक्टिस करती रही।
साल 2018 में आखिरकार ममता को केबिन क्रू की नौकरी मिल गई। पर पासपोर्ट नहीं होने के चलते उसकी नौकरी चली गई। उसके पास खाने के लाले पड़ गए पर उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने घर पर फोन कर सबकुछ बताया।
उन्होंने ममता के सपने को समझा और उसका सपोर्ट किया। जिसके चलते ममता एक बार फिर काम शुरू किया और विदेश में काम करने वाली अपने गांव की पहली महिला बनी। ममता अब एक प्राइवेट कंपनी में एयर होस्टेस की नौकरी कर रही है।
महज इतना ही नहीं वह अपने काम में इतना एक्सपर्ट हो चुकी है कि उसके लेक्चर के लिए कॉलेज वाले भी उसे अपने यहां बुलाते हैं। इस बारे में ममता का कहना है कि लड़कों के बराबर लड़कियों को यदि अधिकार और आजादी मिले तो वह हर एक मंजिल पा सकती है।