सार

अब यूपी के संभल जैसे राजस्थान के अजमेर में हालात बनते जा रहे हैं। क्या दरगाह परिसर में वाकई शिव मंदिर था? कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी, तीन पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।

अजमेर. राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को भगवान संकटमोचन के मंदिर से जोड़ने के विवाद में बुधवार को सिविल कोर्ट में सुनवाई हो गई है। यह मामला हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर किया गया है, जिसमें उन्होंने दरगाह स्थल को भगवान शिव का मंदिर होने का दावा किया है। गुप्ता ने कोर्ट में एक साक्ष्य के तौर पर 1910 में प्रकाशित एक पुस्तक का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि इस स्थान पर एक हिंदू मंदिर हुआ करता था। उनका कहना है कि यह स्थल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और यहां एक मंदिर था जिसे बाद में दरगाह में बदल दिया गया। कोर्ट ने इस मामले को सुनने योग्य मान लिया है और तीन पक्षकार को नोटिस भी जारी करने के आदेश दे दिए हैं।

अजमेर दरगाह में हुई सर्वे कराने की मांग

इस मामले की सुनवाई अजमेर सिविल कोर्ट में हुई है, जहां यह तय किया गया है कि इस याचिका पर आगे सुनवाई जारी रखी जाए या नहीं। हिंदू पक्ष ने अदालत से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस स्थल का सर्वे कराने की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आ सके। कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है।

दरगाह को देश ही नहीं विदेशी भी श्रद्धा से पूजते

इस विदरगाह को लाखों लोग श्रद्धा से पूजवाद ने धार्मिक संवेदनाओं को भी आहत किया है, क्योंकि दरगाह को लाखों लोग श्रद्धा से पूजते हैं। अगर इस याचिका को मंजूरी मिलती है और सर्वे के आदेश दिए जाते हैं, तो इससे स्थिति और भी संवेदनशील हो सकती है, जैसा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद मामले में देखा गया था, जहां सर्वे के बाद हिंसा भड़क गई थी। ऐसे में अजमेर के मामले में भी यदि सर्वे की प्रक्रिया शुरू होती है, तो संभावित विवाद और विरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

कोर्ट में सुनवाई के बाद अब यह विवाद बढ़ेगा

कोर्ट का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस मामले को संवेदनशील तरीके से सुलझाने का रास्ता अपनाता है या नहीं। सभी की नजरें बुधवार की सुनवाई पर टिकी थीं अब यह स्पष्ट हो गया कि यह विवाद आगे बढ़ेगा । साथ ही सभी पक्षों को सुना जाएगा।

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