सार
जयपुर, दवा सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, जब हाल ही में पैरासीटामोल, इंसुलिन इंजेक्शन, और रेबीप्राजोल जैसी दवाइयों के सैंपल फेल होने की खबर सामने आई। दवा विभाग द्वारा की गई सैंपलिंग में पाया गया कि ये दवाइयां तय मानकों के अनुरूप नहीं हैं। विभाग ने इन बैचों की बिक्री पर तुरंत रोक लगा दी है।
इन राज्यों में फेल हुईं यह दवाएं…
चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश फेल दवाइयां हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बनी हैं। इससे पहले भी इन राज्यों से आने वाली कई दवाइयों में घटकों की मात्रा बेहद कम या पूरी तरह से गायब पाई गई थी।
सैंपल फेल होने वाली प्रमुख दवाइयां:
1. रेबीप्राजोल व सस्टेन रिलीज डोमपेरिडोन कैप्सूल: यह दवा पाचन संबंधी समस्याओं और न्यूरो डिसऑर्डर के लिए उपयोगी है। उत्तराखंड में बनी इस दवा में रेबीप्राजोल की मात्रा बेहद कम पाई गई।
2. बीटामेथासोन: सूजन कम करने वाली इस दवा में सक्रिय घटक की मात्रा हिमाचल के सोलन में बेहद कम मिली।
3. निमुस्लाइड और पैरासीटामोल: बुखार और दर्द के लिए उपयोगी इस दवा के घटक पुराने और अप्रभावी हो चुके थे।
4. हीपेरिन सोडियम इंजेक्शन: थक्का बनने से रोकने के लिए यह दवा दी जाती है। सोलन में बनी इस दवा में घटक सही अनुपात में नहीं था।
5. इंसुलिन इंजेक्शन: अहमदाबाद से आने वाली इस दवा में जिंक की मात्रा निर्धारित मानकों से कम थी।
विभाग की कड़ी कार्रवाई
ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि जिन बैचों के सैंपल फेल हुए हैं, उनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है। भविष्य में ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बढ़ाई जाएगी सैंपलिंग संख्या
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से आने वाली दवाइयों की सैंपलिंग संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। इसके साथ ही लगातार फेल होने वाली कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करना जरूरी है ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।