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फादर्स डे पर जानिए 3 फीट की बेटी की कहानी, जिसे पिता ने बना दिया IAS...PM मोदी तक हैं मुरीद
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आईएएस बनने के संघर्ष की कहानियां तो आपने कई सुनी होगी लेकिन राजस्थान में एक महिला आईएएस की संघर्ष की कहानी ऐसी है जो अपने आप में न केवल सबसे अलग है बल्कि उनकी संघर्ष की कहानी ऐसी है जिसके बारे में कोई कभी सोच भी नहीं सकता। कई बार हम देखते हैं कि माता-पिता के कई संतान ऐसी पैदा होती है जिनका शरीर या को अर्द्धविकसित रहता है या फिर उनकी हाइट काफी ज्यादा छोटी होती है। ऐसे में वह अपने घर के काम नहीं बल्कि खुद के कामों को भी ठीक ढंग से पूरा नहीं कर पाते हैं।
राजस्थान केडर की आईएएस अधिकारी आरती डोगरा के साथ हुआ। आरती डोगरा मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली है। साल 2006 में आईएएस बनने के बाद उन्हें राजस्थान केडर मिला। बचपन से ही आरती की हाईट 3 फुट 6 इंच है। आरती के पिता राजेंद्र कर्नल और मां कुमकुम स्कूल प्रिंसिपल है। आरती ने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून में रहकर भी पूरी की।
आईएएस अधिकारी आरती डोगरा ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स स्ट्रीम से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद आरती वापस देहरादून चली गई। उसी दौरान एक बार उनकी मुलाकात हुई कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन जिला कलेक्टर मनीषा से हुई। जिन्होंने आरती को आईएएस बनने के लिए मोटिवेट किया।
कलेक्टर मनीषा से मिलने के बाद आरती डोगरा ने अपने जीवन का लक्षय बना लिया। फिर क्या था आईएएस बनने के लिए आरती ने दिन-रात एक किया। इस दौरान उनके पिता राजेंद्र ने आरती को काफी ज्यादा सपोर्ट किया और आखिरकार आरती की मेहनत रंग लाई।
राजस्थान का कैडर मिलने के बाद आरती ने काम करने के मामले में भी काफी सुर्खियां बटोरी। इन्होंने बीकानेर में जिला अधिकारी के पद पर रहते हुए एक विशेष अभियान चलाया। उद्देश्य था कि खुले में कोई भी शौच न करें। गांव गांव में शौचालय बनवाए गए जिनकी पूरी मॉनिटरिंग भी मोबाइल सॉफ्टवेयर के जरिए होती थी।
आरती डोगरा के इस अभियान के लिए आरती को नेशनल और स्टेट लेवल पर कई बार सम्मानित भी किया गया। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी समानित कर चुके हैं। वहीं पीएम मोदी भी आईएएस की तारीफ कई बार कर चुके हैं। वही आरती जोधपुर डिस्कॉम में डायरेक्टर के पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं।