सार
होली खुशियों भरा त्यौहार है। लोग झूमते हुए एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। लेकिन राजस्थान में एक गांव ऐसा भी है, जहां होली दहन देखना और रंग लगाना अशुभ माना जाता है। अगर वो होलिका दहन देख भी लेते हैं तो बीमार हो जाते हैं या ऐसी कोई अनहोनी घटना हो जाती है।
जोधपुर. होली के पर्व पर आपने सभी को खुशियां मनाते और झूमते हुए ही देखा होगा। लेकिन क्या कभी ऐसा सोचा है कि होली के दिन कहीं 7 दिनों तक माता छाया रहे। ऐसा राजस्थान में होता है। यहां जोधपुर शहर में 125 परिवार ऐसे है जो होली के दौरान मातम में डूबे रहते हैं। यह लोग न तो होली मनाते हैं और न ही अपने घरों के बाहर निकलते हैं। यदि इन्हें गलती से कोई रंग लगा दे तो उसे भी यह अशुभ मानते हैं। यहां तक की जोधपुर के सूरसागर विधानसभा क्षेत्र से विधायक देवेंद्र जोशी का परिवार भी परंपरा का निर्वहन करता है।
होली नहीं मनाने के पीछे की है शॉकिंग कहानी
यह चोवटिया जोशी समाज के लोग हैं। दरअसल पहले यह सभी लोग जैसलमेर के बाड़मेर रोड पर मांडवा गांव में रहते थे। 430 साल पहले गांव में होलिका दहन का कार्यक्रम होना था। ऐसे में सभी लोग होलिका की परिक्रमा कर रहे थे। इसी दौरान गांव के मुखिया हरकजी जोशी की पत्नी लाल देवी अपने छोटे बेटे भागचंद को लेकर होलिका दहन की परिक्रमा कर रही थी। भागचंद अपनी मां की गोद से होलिका में जा गिरा और अपने बेटे को बचाने के लिए लाल देवी भी उसमें कूद गई और दोनों वहीं पर जल गए। इसके बाद से ही यह समाज होली नहीं मानता है। बस होली के दिन और 7 दिनों तक केवल शोक में डूबा रहता है।
होली मनाई तो हो जाती है अनहोनि
समाज के कई लोगों का कहना है कि जब वह होलिका दहन देख भी लेते हैं तो बीमार हो जाते हैं या ऐसी कोई अनहोनी घटना उनके साथ हो जाती है जिसके बारे में वह कभी सोच ही नहीं सकते। ऐसे में वह सालों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हैं। यानि गांव के लोग चाहकर भी होली का पर्व नहीं मना सकते हैं। उनको अनहोनि का डर हमेशा सताता रहता है।