सार

इजराइल और हमाज के बीच चल रहा युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस जंग में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। अब तो इस जंग का असर भारतीय बजार पर पड़ने लगा है। खासकर किसानों पर क्योंकि उनका चावल इजराइल सप्लाई होता है। लेकिन अभी सब बंद है।

जयपुर. इजराइल और आतंकी संगठन हमास के बीच आज जंग का 13 वां दिन है। इस युद्ध में अब तक हजारों लोग हमारे जा चुके हैं। वहीं हजारों लोग गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं लेकिन क्या आप जानते हैं केवल जनता पर ही नहीं बल्कि इस युद्ध का असर विश्व के अन्य देशों-प्रदेशों पर भी पड़ रहा है। इस युद्ध के चलते राजस्थान के चावल कारोबारी बेहद निराश है।

राजस्थान का 90% चावल विदेश जाता...युद्ध के चलते सब रद्द

क्योंकि राजस्थान का 90% चावल ईरान, इराक, सऊदी अरब, कुवैत जैसी खाड़ी देशों में भेजा जाता है। इतना ही नहीं यहां का चावल ब्रिटेन और अमेरिका में भी भेजा जाता है। चावल की खेती करने वाले लोगों का कहना है कि चावल की एक बड़ी खेप ईरान जानी थी लेकिन वर्तमान में युद्ध के चलते प्लान ही रद्द करना पड़ा। इससे चावल के निर्यात में पांच से छह मिलियन टन की गिरावट आ सकती है। यदि लगातार हालात ऐसे ही रहे तो चावल की कीमत किसानों को कम मिलेगी।

राजस्थान-मध्य प्रदेश का चावल ही इसलिए जाता है बाहर

भारतीय किसान संघ के प्रभारी रूप नारायण यादव ने बताया कि वर्तमान में सरकार ने 1200 डॉलर प्रति टन से अधिक कीमत वाले चावल का निर्यात खोला है लेकिन राजस्थान के हाडोती और मध्य प्रदेश में सस्ती किस्म का चावल पैदा किया जाता है। ऐसे में हमारी मांग है कि चावल का निर्यात 850 डॉलर प्रति टन खोला जाए। जिससे कि हमारे यहां के किसानों को भी फायदा मिल सके।

हर साल एक करोड़ से ज्यादा के आते चावल

आपको बता दे कि राजस्थान में भले ही चावल का उत्पादन कम होता हो लेकिन चावल की सबसे बड़ी मंडी यही है। जहां हर साल 1.25 करोड़ चावल की बोरी आती है। यहां के निष्पक्ष व्यापार के चलते मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के दर्जनों जिले के लोग अपना सामान बेचने के लिए यहां आते हैं। जिन्हें अन्य जगहों की तुलना में यहां कीमत भी ज्यादा मिलती है।

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