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मिलिए राजस्थान की आम से खास बनी हस्तियों से, जो अपने काम की लगन के चलते होंगे पद्मश्री से सम्मानित
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जयपुर के रहने वाले हैं गजल गायक भाई
जयपुर के पुराने शहर के मूल निवासी गजल गायक मोहम्मद हुसैन और उनके भाई अहमद हुसैन को पद्म श्री से नवाजा जाने के लिए नाम घोषित किया गया है। दोनो भाईयों ने साल 1980 में अपना कैरियर शुरू किया था। जयपुर में मंचों पर गाना गाने वाले इन दोनो भाईयों का सितारा साल 1980 मे मुंबई में चमका। पहला एलबम सामने आया, नाम था गुलदस्ता। कुछ समय पहले एक कार्यक्रम के दौरान हुसैन बंधुओं ने इस बात का खुलासा किया था कि साल 1980 में सितारा बेगम उनको अपने साथ मुंबई ले गई थीं। वहां पर कई बड़े लोगों से मिलाया।
जयपुर से मुबई के लगाए कई चक्कर
काम मिलने लगा लेकिन दाम उस अनुपात में नहीं मिल रहा था। ऐसे में आए दिन जयपुर में शो करते, पैसा कमाते और फिर मुंबई चले जाते। यही कई सालों तक चलता रहा लेकिन फिर अच्छा मुकाम मिल गया। हुसैन बुंधओं के विदेश में भी मुरीद हैं। उनके पिता अफजल हुसैन से ही दोनो ने गजल गायकी सीखी थी। अपने जोश के चलते वे आम आदमी से पदम श्री हो गए।
दसवी पास किसान ने बदल दी पूरे गांव की सूरत, 50 स्कूल खोल दिए
जयपुर से चुना जाने वाला एक अन्य पद्म श्री लक्ष्मण सिंह को दिया जाना है। दसवीं पांस लक्ष्मण सिंह किसान हैं। जयपुर के करीब सत्तर किलोमीटर दूरी पर स्थित लक्ष्मण सिंह ने अपनी जिद से गांव की दशा और दिशा बदल दी। दसवीं पास करने के बाद खेती किसानी में जुटे तो पता चला कि गांव में पानी कम है। इस पर पिछले चालीस पैंतालीस साल से गांवे में इतने तालाब खुदवा दिए कि अब पानी की किल्लत ही खत्म हो गई। अपने जीवन में पचास स्कूल खोल चुके हैं लक्ष्मण सिंह। सभी पर लिखा है कि यह न तो सरकारी है और न ही प्राइवेट, यह गांव का स्कूल है। लक्ष्मण सिंह के जूनून को देश ने सलाम किया है।
अब बात आदिवासियों के सबसे प्रिय व्यक्ति - बाबा की..
आरएसएस संगठन के प्रचारक, इमरजेंसी के समय नरेन्द्र मोदी के साथ काम करने वाले और अब आदिवासियों के बाबा। ये हैं डूगरपुर शहर से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मूलचंद लोढा। वे आदिवासी अंजल वांगड से आते हैं। पूरे जीवन समाज सेवा करने वाले लोढा को सरकार ने पद्म श्री के लिए चुना है। डूंगरपुर शहर से 15 किमी उदयपुर मार्ग पर वागदरी गांव में आपातकाल के दौरान से लोढ़ा का नाम जन जन तक पहुंच गया। उन्होनें लोगों की आखों की पीडा समझी और आखों की रोशनी के बारे में काम किया।
पद्म श्री से होंगे सम्मानित
RSS के ही संगठन सेवा भारती राजस्थान के संगठन मंत्री भी रहे। उसके बाद कुछ साल पहले वापस डूंगरपुर आ गए। वहां पर सरकार की मदद से पंद्रह बीघा जमीन ली और उसके बाद वहां पर आश्रम , स्कूल, अस्पताल खोले। डूंगरपुर के वांगड में आदिवासी बच्चों को शिक्षा देना शुरु किया और आज तक ये सब जारी है। वहां पर बच्चे उनको बाबा कहते हैं। इनके खोल गए अस्पताल में मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है।