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राजस्थान में रिटायर्ड इंजीनियर ने किसानी में कर दिया कमाल, खेत में उगा रहे डायबटीज के मरीजों के लिए शुगर फ्री आम
आपने शुगर फ्री मिठाई और शुगर फ्री ज्यूस के बारे में तो कई बार सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शुगर फ्री आम भी होते हैं। चौंकिए मत यह बात हकीकत है। राजस्थान में शुगर फ्री आम भी उगाए जा रहे हैं। यह कमाल किया है प्रदेश के 1 रिटायर इंजीनियर ने।
| Published : Jun 22 2023, 05:10 PM IST
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शुगर फ्री मिठाई, शुगर फ्री ज्यूस और शुगर फ्री चावल जैसे आइटम के बारे में आपने ने कई बार सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि शुगर फ्री मैंगों भी होते है। आम के इस सीजन में जान लीजिए शुगर फ्री मैंगों के बारे में। जिसको अब राजस्थान में उग रहे है। इसकी खेती कर रहे है एक रिटायर इंजीनियर।
हम बात कर रहे हैं एजुकेशन सिटी कोटा के कैथून इलाके के मोतीपुरा गांव के रहने वाले ओपी शर्मा की। जो थर्मल प्लांट में अधीक्षण अभियंता के पद पर रह चुके हैं। यह अपने खेत में अमेरिकन किस्म टॉमीएटकिंस के आम उगा रहे हैं। जो पूरी तरह से शुगर फ्री है। ओपी शर्मा बताते हैं कि उन्होंने 10 बीघा एरिया में आम के 1000 पौधे लगाए। वह यह पौधे दूसरे राज्यों से लेकर आए थे।
अब तक वह अपनी इस फसल को तैयार करने के लिए लाखों रुपए खर्च कर चुके हैं। शर्मा का कहना है कि जब वह सरकारी नौकरी में थे तो एक भी सरकारी क्वार्टर में रहते थे जिसमें एक आम का पेड़ लगा हुआ था। ऐसे में आम उनका पसंदीदा फल बन गया। ऐसे में उन्होंने इसी दिन से सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो वह रिटायर होने के बाद आम की खेती करेंगे। इसके बाद वह लखनऊ जाकर पद्मश्री कलीमुल्लाह से मिले। जिन्होंने आम उगाने के मामले में पद्मश्री हासिल किया था। इन से बातचीत कर और सोशल मीडिया और तकनीकों का सहारा लेकर ओपी शर्मा ने काम करना शुरू कर दिया।
साल 2017 में वह महाराष्ट्र से केसर और स्वर्णरेखा किस्म के आम के पौधे लेकर आए थे। इसी दौरान अमेरिकन किस्म का पौधा अमेरिकन वैरायटी टॉमीएटकिंस भी गलती से आ गया। धीरे-धीरे इस पर आम लगना शुरू हुए तो वह भी मेहरून कलर के उगे। शर्मा ने बीते 4 साल में अपने पौधों को तैयार करने के लिए उन पर उगने वाले सभी फूलों को तोड़ दिया। पांचवी साल में जाकर उन्होंने आम तोड़ना शुरू किया। शर्मा बताते हैं कि उन्होंने खेती करने के लिए कई मशीनें भी खरीदी हुई है।
तैयार आम की पौधों पर जैविक तरीके से तैयार हुए कीटनाशक को अपनी फसल में छिड़का। इतना ही नहीं उन्होंने रोज अपने एक एक पौधों की मॉनिटरिंग भी की। जब भी कोई परेशानी या खराबी लगी तो तुरंत उसका इंटरनेट के जरिए हल निकाला। शर्मा बताते हैं कि अब सालाना उनके खेत में 300 क्विंटल आमों का उत्पादन हो रहा है। उनके खेत में तैयार हुए हाई क्वालिटी के आम की कीमत करीब 300 से 500 प्रति किलो के बीच है।