सार

देशभर में चेक बाउंस के 43 लाख से ज़्यादा मामले लंबित हैं, जिनमें राजस्थान सबसे आगे है। अदालतों में इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ की कमी से मामलों का निपटारा धीमा है।

जयपुर. देशभर में चेक बाउंस के मामलों का आंकड़ा चौंकाने वाला है। अदालतों में चेक बाउंस से जुड़े 43 लाख 5 हजार 932 प्रकरण लंबित हैं, जिनमें से सबसे अधिक 6.41 लाख मामले राजस्थान में दर्ज हैं। यह खुलासा केंद्रीय विधि राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने हाल ही में लोकसभा में किया।

राजस्थान सबसे ऊपर

चेक बाउंस के मामलों में राजस्थान पहले स्थान पर है, जबकि महाराष्ट्र 5.89 लाख, गुजरात 4.73 लाख, दिल्ली 4.54 लाख और उत्तर प्रदेश 3.76 लाख, इस सूची में शीर्ष पांच में शामिल हैं। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और एमपी ऐसे राज्य हैं जहां संख्या पौनें तीन लाख से लेकर एक लाख पचास हजार के बीच है। इन आंकड़ों से साफ है कि चेक बाउंस के मामले केवल एक कानूनी समस्या नहीं, बल्कि एक बढ़ती सामाजिक और आर्थिक चुनौती बन गए हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ की कमी

लोकसभा में पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि अदालतों में चेक बाउंस के मामलों को सुलझाने के लिए उचित इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ की कमी है। अधिकारियों और संसाधनों की अपर्याप्तता के कारण मामलों का निपटारा धीमा हो रहा है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है।

नई व्यवस्था की आवश्यकता

ट्रैफिक चालान के मामलों को निपटाने के लिए देशभर में वर्चुअल कोर्ट की व्यवस्था की गई है, जिससे मामलों के निपटारे में तेजी आई है। हालांकि चेक बाउंस के मामलों के लिए ऐसी कोई नई व्यवस्था लागू नहीं की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन मामलों को तेजी से निपटाने के लिए वर्चुअल कोर्ट या विशेष अदालतों की स्थापना की जानी चाहिए।

समस्या का समाधान जरूरी

चेक बाउंस के मामले व्यापारिक लेन-देन और व्यक्तिगत विश्वास दोनों को प्रभावित करते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए न्यायपालिका और सरकार को मिलकर काम करना होगा। साथ ही व्यापारिक संस्थानों और आम जनता को चेक लेन-देन में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए।

 

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