सार
राजस्थान में 25 दिसंबर को चुनाव तो संपन्न हो गए, लेकॆिन राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा है कि इस बार राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी। हालांकि 3 दिसंबर को सब पता लग जाएगा। लेकिन वोटिंग का यह ट्रेंड बता रहा है कि किसके सिर पर जीत का सेहरा सजने वाला है।
जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा होने के बाद अब सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं। हालांकि इस बार राजस्थान में मतदान में कोई ज्यादा बदलाव नहीं हुआ केवल 0.90: वोटिंग बढ़ी है। लेकिन यह मौजूदा सरकार के लिए चिंता का सबब बन सकता है। यदि पिछले तीन चुनाव की देखे तो मतदान जिसका बढ़ा, उसका फायदा विपक्षी पार्टी को मिला।
जब कांग्रेस ने बनाई थी सरकार
- साल 2008 में 66.25 प्रतिशत वोटिंग हुई। हालांकि 2003 के मुकाबले मतदान प्रतिशत 0.93ः घटा। ऐसे में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया। भाजपा ने 78 तो कांग्रेस ने 96 सीटें हासिल नही की। हालांकि उसे दौरान सरकार कांग्रेस की बनी।
जब भाजपा ने बनाई थी राजस्थान में सरकार
- इसी तरह 2013 में मतदान प्रतिशत 8.79ः बढ़ा। 75ः के करीब वोटिंग हुई तो 163 सीट पर बीजेपी और 21 पर कांग्रेस जीती थी। इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला और उसने बहुमत के साथ सरकार बनाई।
वोटिंग % घटने से किसे फायदा किसे नुकसान
- 2018 में मतदान प्रतिशत 0.98 प्रतिशत घटा तो एक बार फिर दोनों पार्टियों में कोई खास अंतर नहीं रहा। भाजपा ने 73 तो कांग्रेस ने 99 सीटों पर कब्जा किया। हालांकि सरकार अंत में कांग्रेस पार्टी ने ही बनाई।
बीजेपी को मिल सकता है ज्यादा वोटिंग का फायदा
- इस बार 74ण्96ः वोटिंग राजस्थान में हुई है। इस आधार पर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसमें से 6ः वोट इधर.उधर हो सकता है। बीते सालों के आधार पर इस बार वोटिंग का फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
यहां सबसे ज्यादा वोटिंग
- आपको बता दें कि राजस्थान में सबसे ज्यादा वोटिंग तिजारा और पोकरण विधानसभा में हुई। दोनों में 85ः से ज्यादा मतदान हुआ। हालांकि इन दोनों सीटों पर अबकी बार भाजपा ने अपनी तरफ से संतो को मैदान में उतारा था। 3 दिसंबर को ही पता चल पाएगा कि आखिर राजस्थान में बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का फायदा कौन लेता है।