सार

राजस्थान में आज से 21 दिन बाद यानि 25 नंवबर को मतदान होगा। बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक अपने सभी प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है। जिन नेताओं को टिकट काटा है वह बगावती तेवर अपना रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी वो पर्चा निकालने को तैयार नही हैं।

जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में अब करीब 21 दिन का समय बचा हुआ है। 2 दिन बाद नामांकन प्रक्रिया भी खत्म हो जाएगी लेकिन अभी तक कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। भाजपा की बात करें तो इस बार पूर्व उपमुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थित नेताओं को खास नजरंदाज किया गया है। करीब 20 नेता ऐसे हैं जो वसुंधरा राज समर्थित है और मंत्री और विधायक के पद पर भी रह चुके हैं लेकिन इस बार पार्टी ने टिकट वितरण में उन पर कोई भी ध्यान नहीं दिया।

वसुंधर गुट के दिग्गज नेताओं के काटे गए टिकट

पार्टी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, पूर्व सांसद रामसिंह, बंशीधर बाजिया,सुरेंद्र पारीक, सुरेंद्र पारीक,समर्थलाल,बाबूलाल वर्मा, कृष्णेंद्र कौर दीपा, यूनुस खान जैसे नेताओं का टिकट काट दिया गया। इसके साथ ही पूर्व कैबिनेट मंत्री यूनुस खान और भवानी सिंह राजावत जैसे दिग्गज नेताओं के भी टिकट काटे गए जो वसुंधरा के कट्टर समर्थक है।

बीजेपी मना रही...लेकिन नेता हैं कि मानने को नहीं तैयार

हालांकि अभी तक विधानसभा चुनाव 2030 के लिए नामांकन पूरा होने में 2 दिन का समय और बाकी है ऐसे में देखना होगा कि आखिरकार भाजपा से बगावत करके कितने नेता चुनाव लड़ते हैं। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी की सीनियर लीडरशिप पार्टी से बागी हो चुके नेताओं को साधने में लगी हुई है जिससे की पार्टी को चुनाव के दौरान कोई नुकसान न उठाना पड़े। पार्टी के बागी हो चुके नेताओं ने चुनाव लड़ने के लिए अपने कार्यकर्ताओं की बैठक को काफी बुलवाई लेकिन अभी तक चुनाव लड़ेंगे या नहीं इस पर कोई फैसला नहीं किया।

कैसे होगा बागी नेताओं का डैमेज कंट्रोल

वहीं राजनीतिक जानकारी की माने तो डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी सबसे बेहतर यह रास्ता अपनाती है कि चुनाव जीतने के बाद यदि पार्टी की सरकार बनती है तो अन्य कोई पद नाराज नेता को दे दिया जाता है। इतना ही नहीं नगदी जैसे प्रलोभन भी दिए जाते हैं।