सार
जयपुर. राजस्थान के भरतपुर जिले में इस बार अनोखी राखी बन रही है। इस राखी की मांग देश में तो है ही साथ ही विदेशों से भी डिमांड आ रही है। राखी बनाने वालों का कहना है कि करीब पंद्रह हजार राखियां बनाई गई थीं, लेकिन अब मुश्किल से पचास से सौ राखियां ही बची हैं जो भी खुद के काम में लेने के लिए रखी गई हैं। पहली बार ही ये प्रयोग किया गया और पहली बार में ही यह सफल हो गया।
गाय के गोबर और मुल्तानी मिट्टी से बनी हैं स्पेशल राखियां
दरअसल भरतपुर जिले में स्थित सोशल वेलफेयर एंड रिसर्च ग्रुप स्वर्ग संस्था ने इस बार गाय के गोबर और मुल्तानी मिट्टी से स्पेशल राखियां बनाई गई है। इसमें प्राकृतिक रंग और खुशबू मिलाई गई है। कलावे और रेशमी धागों का यूज करने के साथ ही पांच से दस डिजाइन में इनको बनाया गया है। इनमें खासब बात ये है कि इसे कामधेनु रक्षाबंधन नाम दिया गया है। इन राखियों में तुलसी और अश्वगंधा के बीच मिलाए गए हैं। ये बीच छोटे होते हैं और आसानी से मिल जाते हैं। राखियों का इस्तेमाल करने के बाद इनको गमले या कच्ची जमीन में डालकर कुछ दिन हल्का पानी दिया जाएगा तो तुलसी और अश्वगंधा के पौधे उग आएंगे। ऐसी राखी पहली बार ही बनाई गई है।
पंजाब-यूपी, एमपी की डिमांड के बाद अब दुबई भेजी जा रहीं राखियां
संस्था के प्रतिनिधी बलवीर सिंह ने बताया कि जैसी उम्मीद थी वैसा ही काम हुआ है। पंजाब, यूपी, एमपी समेत कई राज्यों से इसकी डिमांड और आई है। दुबई, बहरीन, मस्कट जैसे अन्य देशों में भी माल भेजा गया हैं । पंद्रह हजार राखियों का निर्माण पहली बार में किया गया था। अच्छा रेस्पांस आया है तो इसे आगे भी जारी रखेंगे। भाई और बहन के रिश्ते का खास मौका होता है रक्षाबंधन, अब भाई अपनी बहन की दी राखी को अपनी आंखों के सामने बड़ा होता देख सकेंगे।