सार
सोमनाथ महादेव मंदिर: सावन महीने के आखिरी सोमवार पर देश के कई शिव मंदिरों में लोगों की भारी भीड़ है। इस बीच राजस्थान के जालौर के स्वर्णागिरी फोर्ट में स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर में भी सुबह से हुजूम लगा हुआ है। बता दें कि इस टेंपल में का अपना एक इतिहास है, जिसकी चर्चा हो रही है। ऐसा माना जाता है कि जो शिवलिंग लगा है, वो गुजरात के सोमनाथ मंदिर का अंश है।
शिवलिंग के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी छुपी हुई है। कहा जाता है कि इसे युद्ध करके छुड़वाया गया। जब दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी की सेना गुजरात के सोमनाथ महादेव की शिवलिंग को हाथी के पैर से बांधकर दिल्ली लेकर जा रही थी। तब जालौर के सोनगरा वंश के शासक कान्हड़देव ने दुश्मन सेना से लड़ाई की और फिर मुक्त कराया। इसके बाद दुर्ग परिसर में स्थापित करके बड़ा मंदिर बनवाया गया।
सोमनाथ महादेव मंदिर की ऊंचाई
स्वर्णागिरी फोर्ट में सोमनाथ महादेव मंदिर की ऊंचाई करीब 2408 फीट है।इतना ज्यादा ऊंचा है कि मुख्य द्वार से पहले चार बड़े दरवाजे पार करने होते हैं। चढ़ाई पूरी करने में करीब 1 घंटे से ज्यादा का समय लगता है। पास ही दो पुरानी बावड़ी और एक भेरुजी का मंदिर भी है। जो भी भगवान शिव के मंदिर में दर्शन करने के लिए आता है वह उन दोनों जगह जाता जरूर है।
मंदिर के मूल स्वरूप में बदलाव नहीं
मंदिर के मूल स्वरूप में आज भी कुछ ज्यादा बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि अभी वर्तमान में रिनोवेशन का काम तो चल रहा है। लेकिन देखभाल करने वालों का कहना है कि आज भी लोग पुराने स्वरूप नहीं देखना पसंद करते हैं। इसकी पहाड़ी इतनी ज्यादा ऊंची है कि यहां से देखने पर एक तरफ तो बाड़मेर, दूसरी तरफ भीनमाल और तीसरी तरफ माउंट आबू का इलाका नजर आता है।
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