सार

राजस्थान की गरासिया जनजाति में दहेज प्रथा नहीं होती है और महिलाओं को सम्मानीय दर्जा प्राप्त है। शादी में दहेज नहीं दिया जाता और लड़की के परिवार की सहमति के बिना लड़की को ले जाने पर जुर्माना लगाया जाता है।

सिरोही. भले ही भारत देश में दहेज प्रथा पर रोक लगा दी गई हो लेकिन आज भी ज्यादातर बेटियों के परिवार के लोग शादियों में लाखों रुपए का दहेज देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं राजस्थान में एक जनजाति ऐसी भी है जहां शादियों में दहेज बिल्कुल भी नही दिया जाता है। केवल इतना ही नहीं बल्कि यदि किसी लड़की का परिवार शादी के लिए राजी नहीं होता और कोई लड़का उसे ले जाता है तो उसका जुर्माना देना होता है।

यह जनजाति राजस्थान में सबसे अलग

हम बात कर रहे हैं राजस्थान की गरासिया जनजाति की। जो राजस्थान में सिरोही, उदयपुर, पाली और उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। यह जनजाति राजस्थान की आदिवासी जनजाति है। जिसमें महिलाओं को ऊंचा और सम्मानीय दर्जा मिला हुआ है। इस जनजाति में बेटी पैदा होने पर उतनी ही खुशी मनाई जाती है। जितनी एक बेटा पैदा होने पर मनाई जाती है। बेटे और बेटी में कोई भी भेदभाव नही किया जाता है। जनजाति की महिला भी पुरुषों के बराबर मजदूरी और अन्य काम करती है।

इस वाहन में आती है लड़कियों की बारात

यहां बेटी की विदाई होने पर लड़की के मामा के द्वारा केवल पेटियों में लड़की के कपड़े और केवल घरेलू सामान की चीजें ही दी जाती है। इस जनजाति में हमेशा से ही दहेज नहीं लिया जाता। शादी में बारात भी कोई आलीशान तरीके से नहीं बल्कि ट्रैक्टर ट्रॉली में ही निकाली जाती है। जिसको देखना लोगों के लिए काफी उत्सुकता भरा होता है।

लड़का अपने साथ लड़की को ले जाता

यह राजस्थान की इकलौती एक ऐसी जनजाति है जिसमें कई मेलों में लड़का और लड़की एक दूसरे को पसंद करते हैं। यदि दोनों परिवार सहमत होते हैं। तो लड़का अपने साथ लड़की को ले जाता है। यदि लड़की का परिवार सहमत नहीं होता तो एक पंचायत बुलाई जाती है। जिसमें पंच लड़के के परिवार पर दंड के रूप में जुर्माना भी लगाते हैं।