सार
जयपुर साहित्य उत्सव में सुधा मूर्ति ने AI पर बात की। उन्होंने कहा कि AI तकनीक मददगार तो है, पर भावनाओं को नहीं समझ सकता। कहानी कहना दिल से आता है, AI से नहीं।
जयपुर : राज्यसभा सांसद और इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति गुरुवार को जयपुर साहित्य उत्सव में शामिल हुईं। इस दौरान हुए संवाद में उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए। एक लड़की ने AI से होने वाले खतरों के बारे में सवाल पूछा। आजकल AI का महत्व बढ़ रहा है, लेकिन क्या AI से कहानी कहने की कला बदल सकती है?
सुधा मूर्ति ने लड़की से उसकी उम्र पूछी। 16 साल की उम्र सुनकर उन्होंने कहा, "शायद तुम अपनी मां का सवाल पूछ रही हो। फिर भी, मैं जवाब देती हूँ।"
उन्होंने कहा, "AI बहुत शक्तिशाली है। यह तकनीक में मदद करता है, काम को बेहतर बनाता है, और भविष्य का अनुमान लगा सकता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बदलाव ला सकता है। लेकिन कहानी दिल से आती है, रचनात्मकता दिल से आती है।"
"तुम अपनी मां से कितना प्यार करती हो, या तुम्हारी मां तुमसे कितना प्यार करती है? दुनिया का कोई AI एल्गोरिथम यह नहीं बता सकता। खुशी में आँसू आते हैं, दुःख में भी। AI तुम्हें नहीं समझ सकता। भावनाओं से जुड़ी चीजें AI नहीं समझ सकता। AI भावनाहीन तकनीक है, पर काम में परफेक्ट है। यह मौसम, कृषि, डिजाइन में इस्तेमाल हो सकता है। कई आधुनिक काम कर सकता है, पर दिल की जगह नहीं ले सकता। दिल अलग है, दिमाग अलग।"
हनुमान जी की संजीवनी बूटी की कहानी सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मुश्किलें आने पर हम उनसे ऊपर उठें। मुश्किलों के बारे में सोचना छोड़ दें। मुश्किलें सबको आती हैं। हमे उससे बड़ी चीजों पर ध्यान देना चाहिए। जीवन जैसा आये, उसे स्वीकार करना सीखें।
पैर में चोट के बावजूद सुधा मूर्ति ने कई विषयों पर बात की। संवाद शुरू होने से पहले कुर्सी ठीक करते हुए वे कुछ देर खड़ी रहीं। उन्होंने कहा, "एक शिक्षिका के लिए खड़े रहना सजा नहीं, यह तो विद्यार्थी के लिए सजा है।" इस पर सब हँस पड़े।