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वो 5 महिला IAS...जो पूरे देश में हैं चर्चित, कोई इनकी खूबसूरती का दीवाना तो कोई काम के स्टाइल का फैन
8 मार्च को पूरी दुनिया में महिला दिवस मनाया जाएगा। अपने फील्ड में परचम लहराने वाली इन नारी शक्ति को सरकार भी इस दिन समानित करती है। इस मौके पर जानिए राजस्थान की उन बेटियों के बारे में जो आईएएस बनकर कई बड़ी जिम्मेदारियां संभाल रही हैं
| Published : Mar 05 2023, 03:33 PM IST
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टीना डाबी की बहन रिया डाबी
अब बात आईएएस टीना डाबी की बहन रिया डाबी की। जो खुद साल 2021 में आईएएस की परीक्षा में पास हुई है। रिया फिलहाल अलवर में प्रशिक्षक सहायक कलेक्टर के पद पर तैनात है। 3 महीने बाद इनका प्रशिक्षण पीरियड पूरा होगा इसके बाद इन्हें भी सरकार फील्ड पोस्टिंग देने की इच्छा में है।
अलग अंदाज के लिए फेमस आईएएस स्वाति मीणा
सीकर जिले के श्रीमाधोपुर इलाके की रहने वाली स्वाति मीणा साल 2007 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस बनी। जिसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश केडर मिला। मध्य प्रदेश में कई जगह कलेक्टर रही। इस दौरान कई इलाकों में अवैध खनन करने वालों के खिलाफ उन्होंने जमकर कार्रवाई की। वही स्वाति मीणा को अपने कामों में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति का हस्तक्षेप पसंद नहीं है। इन्हीं कामों के चलते उनका बार-बार ट्रांसफर होता रहता है।
देश की सबसे चर्चित आईएएस अधिकारी टीना डाबी
इस लिस्ट में तीसरा नाम है आईएएस टीना डाबी का। जो वर्तमान में जैसलमेर कलेक्टर है। भले ही टीना डाबी की यह पहली फील्ड पोस्टिंग हो लेकिन वह अपना दायित्व बखूबी तरीके से निभा रही है। उन्होंने पर्यावरण संबंधी कई क्षेत्रों में जैसलमेर जैसे रेगिस्तानी इलाके में कई नवाचार किए हैं। वहीं इस बार जैसलमेर फेस्टिवल का व्यापक स्तर पर आयोजन आईएएस टीना डाबी का ही एक नवाचार था।
आईएएस फराह खान से मिलिए...
अब बात शेखावाटी इलाके की रहने वाली आईएएस फराह खान की। फराह खान ऐसे इलाके से आती है जहां मुस्लिम महिलाओं को कम पढ़ा लिखा जाता है। लेकिन फराह का परिवार हमेशा से प्रशासनिक सेवाओं में लगा हुआ है। जब फराह आईएएस बनी तो उनके पिता दौसा के कलेक्टर थे। नतीजा यह निकला कि अब इस बेटी की सफलता के बाद उस इलाके में पढ़ाई का रुझान काफी ज्यादा बढ़ गया है। लोग बेटों से ज्यादा पढ़ाई अभी बेटियों को करवाने लगे हैं।
हम बात करते हैं आईएएस मंजू राजपाल की। जो मुख्य रूप से राजस्थान के चुरू जिले की रहने वाली है। ग्रामीण इलाके से होने के चलते जीवन संघर्ष भरा था। आखिरकार जैसे तैसे मंजू राजपाल आईएएस बन गई। लेकिन आईएएस बनते ही उन्हें एपीओ कर दिया गया पूर्णविराम ऐसे में आईएएस होने के बावजूद भी उन्हें एक आरएएस वाली एसडीएम की नौकरी दी गई। राजपाल ने अपना यह काम बखूबी तरीके से निभाया और आखिरकार उन्हें डूंगरपुर में कलेक्टर बना दिया गया। डूंगरपुर में उन्होंने ऐसा काम किया कि आदिवासी इलाका होने के बाद भी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का उन्होंने बखूबी तरीके से निर्वहन किया। नतीजा यह निकला कि इसके लिए उन्हें बेस्ट कलेक्टर का अवार्ड भी दिया गया।