जटायु की वापसी: क्या गोरखपुर में फिर लौटेगी गिद्धों की चहचहाहट?
- FB
- TW
- Linkdin
रेड हेडेड वल्चर यानी राज गिद्ध के संरक्षण के उद्देश्य से इस जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई है. इस केंद्र के माध्यम से न सिर्फ़ राज गिद्धों की संख्या में इज़ाफ़ा होगा, बल्कि विलुप्त होती इन जीवों को देखने पर्यटकों का आगमन बढ़ने से पर्यावरण पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
जटायु यानी गिद्ध पौराणिक महत्व रखता है. रामायण में सीता हरण के समय रावण के साथ जटायु का युद्ध हुआ था. इसने राम को सीता के बारे में जानकारी दी थी.
देश-विदेश में गिद्धों का अस्तित्व खतरे में है. इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है. गोरखपुर के कैंपियरगंज में जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया है. 2 करोड़ 80 लाख 54 हज़ार रुपये की लागत से इसका निर्माण किया गया है. इसमें प्रजनन कक्ष, होल्डिंग कक्ष, अस्पताल कक्ष, नर्सरी कक्ष, पशु चिकित्सा अनुभाग, प्रशासनिक भवन, चेतरीक कक्ष, प्रहरी कक्ष, जनरेटर कक्ष, रास्ते बनाए गए हैं.
फ़िलहाल केंद्र में छह रेड हेडेड वल्चर लाए गए हैं. सीसीटीवी कैमरों के ज़रिए 8 कर्मचारी इनपर नज़र रखेंगे.
बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी इनकी देखरेख में मदद करेगी. गोरखपुर के डीएफओ विकास यादव के मुताबिक, पांच हेक्टेयर जमीन पर बने इस केंद्र के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और राज्य सरकार के बीच समझौता हुआ है. अगले कुछ सालों में 40 गिद्धों को छोड़ा जाएगा.