सार
अयोध्या में राम मंदिर बनने से दशकों पहले उसका मॉडल तैयार हो गया था। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर मॉडल कारसेवकपुरम में स्थापित है। आइए जानते हैं इसके तैयार होने की कहानी।
अयोध्या। देश की आजादी के बाद से ही अयोध्या राम मंदिर विवाद ने जन्म लिया। अब राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा समारोह है। यदि आप अयोध्या गए होंगे तो आपने कारेसवकपुरम के एक भवन में रखे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर मॉडल को जरूर देखा होगा, नहीं तो राम मंदिर के प्रतीक के रूप में सोशल मीडिया पर मंदिर के इस मॉडल की तस्वीर जरूर देखी होगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं श्रीराम जन्मभूमि मंदिर मॉडल कैसे तैयार हुआ? वर्तमान में इसी स्वरूप में राम मंदिर तैयार हो रहा है।
1989 में प्रयागराज कुंभ में संतों ने पारित किया था मॉडल
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया- 1989 के प्रयागराज कुंभ में संतों द्वारा राम मंदिर का यह मॉडल पारित किया गया। घर-घर में इस मॉडल की पूजा हुई। इसी मॉडल के अनुरुप राम मंदिर का शिलान्यास हुआ। हालांकि, 2020 में शिलान्यास के बाद मंदिर के मॉडल में परिवर्तन करते हुए इसे इसे तीन मंजिला कर दिया गया। पहले यह दो मंजिला था। अब भूतल के अलावा प्रथम तल और द्वितीय तल है। इसकी लंबाई और चौड़ाई भी बढ़ गई है। पहले 128 फीट लंबाई और 155 फीट चौड़ाई थी। अब लंबाई 350 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट हो गई है लेकिन मॉडल के भाग उसी प्रकार हैं। जैसे- सिंह द्वारा, नृत्य मंडप, पवित्र गर्भ गृह। उसमें कीर्तन मंडप और सत्संग मंडप भी बनाया गया है। अब यह मॉडल व्यापक रूप ले चुका है।
पहले सीवी सोमपुरा फिर विजय डूडी ने बनाया राम मंदिर मॉडल
शरद शर्मा कहते हैं- मंदिर का वास्तविक मॉडल गुजरात के रहने वाले सीवी सोमपुरा ने बनाया था। उनके पूर्वजों ने ही सोमनाथ मंदिर का निर्माण कियाा था। उनका बनाया गया मॉडल लकड़ी का था, जो कार्यशाला में रखा है। जयपुर के रहने वाले विजय डूडी को विचार आया कि कोई अपने मुताबिक ताजमहल और अन्य कलाकृतियां बना सकता है तो क्यों न हम राम मंदिर का मॉडल बनाएं? उन्होंने 2000 में मंदिर का मॉडल बनाना शुरू किया और हूबहू उसी तरह बनाया, जिस तरह मंदिर बनना था। हर पिलर में देवी देवताओं के चित्र उकेरे गए हैं। इस मॉडल को बनाने में थर्माकोल और मॉर्बल डस्ट का यूज किया गया है।
2002 से कारसेवकपुरम में रखा है मॉडल
मॉडल के अंदर 51000 छोटे-छोटे बल्बों के प्रयोग के साथ अंदर के हिस्से में नक्काशी की गई है। एक बार विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन महामंत्री गिरिराज किशोर जयपुर गए तो उन्होंने वह मॉडल देखा और उसे लेकर प्रयागराज आए। मंदिर के इस मॉडल को 2001 के प्रयागराज के कुंभ में रखा गया। दर्शनार्थी राम मंदिर के मॉडल का दर्शन करने आने लगे। कुंभ समाप्त होने के बाद 2002 में कारसेवकपुरम में इसे एक भवन में लाकर रखा गया। तभी से मंदिर का यह मॉडल यहां स्थापित है। जिस मॉडल पर मंदिर का निर्माण हो रहा है, उसी तरह के मॉडर पर बेस्ड भगवान श्रीराम का मंदिर मार्केट में बिक रहा है। यह मॉडर हमारे तीर्थक्षेत्र में लोगों को दिया जा रहा है।
श्रद्धालुओं को श्रीराम मंदिर मॉडल के दर्शन कराते हैं बाबा हजारी दास
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर मॉडल की देखरेख बाबा हजारी दास करते हैं। ये 1990 में अयोध्या आए थे। फिर यहीं के होकर रह गए। शाहजहांपुर के रहने वाले बाबा हजारी दास ने बाबरी विध्वंस से लेकर मंदिर निर्माण तक देखा है। 1992 में बाबरी विध्वंस के समय उन्हें चोटें आई थीं। कुछ दिन तक अस्पताल में एडमिट रहे। वर्षों से श्रद्धालुओं को श्रीराम मंदिर मॉडल के दर्शन करा रहे हैं।