सार
अयोध्या में 22 जनवरी को एक विशेष मुहूर्त में विधिवत रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। 500 साल में अयोध्या ने सांप्रदायिक संघर्ष से लेकर हिंदू-मुस्लिम एकता तक बहुत कुछ देखा है। जानते हैं अयोध्या में राम मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास।
Ayodhya Ram Temple Timeline: अयोध्या में 16 जनवरी से राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पूजा शुरू हो रही है। 22 जनवरी को रामलला के भव्य मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। बता दें कि पिछले 500 साल में अयोध्या ने सांप्रदायिक संघर्ष से लेकर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल तक बहुत कुछ देखा है। आइए जानते हैं अयोध्या में बाबरी मस्जिद से राम मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास।
- अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, 1528-29 में मुगल आक्रमणकारी बाबर के सेनापति मीर बकी ने मंदिर के उपर बाबरी मस्जिद बनवाई थी।
- 1856-57 में अयोध्या में विवादित स्थिल को लेकर हिंदू-मुस्लिम में सांप्रदायिक हिंसा हुई। दोनों ही इस जमीन पर अपने-अपने दावे कर रहे थे।
- चूंकि, उस दौर में अंग्रेजों का शासन था। ऐसे में लोगों को शांत करने के लिए अंग्रेज सरकार ने एक फॉर्मूला ढूंढा, जिसके तहत विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी गई।
- इसके बाद बाबरी मस्जिद परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने की अनुमति दे दी गई।
- 30 नवंबर, 1858 को अयोध्या के तत्कालीन थानेदार शीतल दुबे ने विवादित स्थल मामले में पहला केस दर्ज किया।
- ये केस पंजाब के रहने वाले निहंग सिख पर दर्ज किया गया। उन पर आरोप लगा कि उन्होंने मस्जिद परिसर के भीतर भगवान राम का प्रतीक बनाया और पूजा-पाठ की।
- 1885 में महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया। इसमें उन्होंने मस्जिद के बाहरी हिस्से में बने राम चबूतरा क्षेत्र में मंदिर बनाने की अनुमति मांगी। हालांकि, ये मुकदमा और अपील खारिज हो गई।
- 1934 में अयोध्या में एक बार फिर सांप्रदायिक हिंसा हुई। बाबरी मस्जिद का कुछ हिस्सा तोड़ दिया गया। हालांकि, बाद में ब्रिटिश सरकार ने इसकी मरम्मत करवाई।
- 22-23 दिसंबर, 1949 को करीब 60 लोगों का समूह रात में मस्जिद के अंदर घुस गया और मुख्य गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित कर दी।
- 29 दिसंबर को फैजाबाद कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को विवादित भूमि घोषित किया और इसके मुख्य दरवाजे पर ताला लगा दिया गया।
- 16 जनवरी, 1950 को आजाद भारत में अयोध्या मामले का पहला केस हिंदू महासभा के वकील गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में फाइल किया।
- गोपाल सिंह विशारद ने अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की पूजा का अधिकार देने की मांग की। सिविल जज ने पूजा की अनुमति दे दी।
- 17 दिसंबर, 1959 को निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया। निर्मोही अखाड़े ने मुकदमा दर्ज कर राम जन्मभूमि की संपत्ति और मालिकाना हक देने की मांग की।
- 18 दिसंबर, 1961 को सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मूर्ति स्थापित किए जाने के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाई। साथ ही मस्जिद और आसपास की जमीन पर अपना हक जताया।
- 25 जनवरी, 1986 को वकील उमेश चंद्र पांडे ने मुकदमा दर्ज कराया। उन्होंने कोर्ट से विवादित स्थल का ताला खोलने और रामलला के दर्शन की अनुमति मांगी।
- 1 फरवरी, 1986 को फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने विवादित स्थल का ताला खोलने और हिंदुओं को रामलला के दर्शन की अनुमति दी। इसके बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन हुआ।
- 3 फरवरी, 1986 को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने विवादित स्थल का ताला खोलने के आदेश पर रोक लगा दी।
- 1 जुलाई, 1989 को रिटायर्ड जज और विश्व हिंदू परिषद के नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक मुकदमा दायर किया। इसमें उन्होंने विवादित जमीन रामलला विराजमान की होने का दावा किया।
- 10 जुलाई 1989 को विवादित स्थल से जुड़े सभी मुकदमे इलाहाबाद हाइकोर्ट की स्पेशल बेंच में ट्रांसफर कर दिए गए।
- 6 दिसंबर, 1992 को देशभर से हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे। इसके बाद अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को ढहा दिया गया।
- 1993 में केंद्र सरकार ने नए कानून के तहत 68 एकड़ विवादित जमीन पर कब्जा कर लिया।
- 23 अक्टूबर, 2002 को हाइकोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को विवादित स्थल पर जांच के आदेश दिए। आदेश में कहा गया कि इस बात का पता लगाएं क्या इसके अंदर मस्जिद से पहले कोई मंदिर था।
- 2003 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) कि प्रारंभिक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो गई कि वहां मंदिर मौजूद था।
- 5 मार्च, 2003 को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने विवादित स्थल पर खुदाई शुरू की।
- 22 अगस्त, 2003 को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कन्फर्म किया कि मस्जिद के नीचे मंदिर होने के कई सबूत मिले हैं।
- 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया।
- 9 मई, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
- बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस विवाद से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
- 8 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस की सुनवाई के लिए 5 सदस्यों वाली एक बेंच गठित की।
- 8 मार्च, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले का हल निकालने के लिए एक मध्यस्थता कमेटी बनाई।
- इसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एफएमआई कलीफुल्ला के अलावा आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पांचू भी थे। हालांकि, मध्यस्थता कमेटी से भी बात नहीं बनी।
- 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए सरकार को एक ट्रस्ट गठित करने का आदेश दिया।
- इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष को अयोध्या से बाहर 5 एकड़ जमीन देने की बात कही।
- 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या स्थित श्री रामजन्मभूमि में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया। इसके बाद से अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी।
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