सार
यूपी के बदायूं में ट्रिपल मर्डर के बाद परिजनों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। परिजनों का कहना है कि अगर पुलिस ने सही समय पर एक्शन लिया होता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
बदायूं: जरीफनगर थाना क्षेत्र के गांव आरिफपुर भगता नगला में ट्रिपल मर्डर में पुलिस की लापरवाही भी सामने आ रही है। थाने से लेकर नाधा चौकी तक किसी भी पुलिसकर्मी ने मामले में एक्शन लिया होता तो संभवतः यह वारदात टल सकती थी। इस घटना के बाद पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
'अगर पुलिस चाहती तो इतनी लाशें न बिछतीं'
पुलिस पर सबसे ज्यादा गुस्सा महीपाल पक्ष के लोगों का है। खूनी संघर्ष के बाद घायल हुए हरिओम की मौत के बाद उनका कहना है कि अगर पुलिस चाहती तो इतनी लाशें न बिछतीं। दरअसल महीपाल और अमर सिंह के बीच में काफी लंबे समय से रंजिश चल रही थी। पुलिस को इस बारे में जानकारी भी थी। लेकिन पुलिस किसी के मंसूबों की भनक नहीं लगा पाई। पुलिस की लापरवाही के चलते ही संघर्ष में महीपाल पक्ष के दो लोगों की मौत हो गई और हरिओम ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर महीपाल के संबंधियों ने जमकर पुलिस पर सवाल उठाए।
अमर सिंह के पक्ष पर लगा घेराबंदी करने का आरोप
पीड़ितों का कहना था कि जब मारपीट शुरू हुई तो सबसे पहले पुलिस की ही सूचना दी गई थी। हालांकि पुलिस मौके पर पहुंचने के बाद भी तमाशबीन बनी रही। पुलिस की मौजूदगी में ही यह विवाद चलता रहा। महिपाल पक्ष के हरिका ने बताया कि वह लोग खेत में खाद लगाने के लिए गए थे। हालांकि इसी बीच अमर सिंह के पक्ष की ओर से घेराबंदी कर दी गई। काफी देर तक निकलने का प्रयास चलता रहा लेकिन सफलता नहीं मिली। हरिओम की मौत के बाद जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें वह कह रहा है सभी लोग शांत हो जाओ पुलिस को फोन करो। हालांकि इसके कुछ देर बाद ही फायरिंग होने लगती है।
पुलिस की मौजूदगी में हुआ हरिओम का अंतिम संस्कार
इस ट्रिपल मर्डर में पुलिस ने अमर सिंह के पक्ष से फरार लोगों की धरपकड़ तेज कर दी है। वहीं रविवार तक पुलिस ने दोनों ही पक्षों के 12 लोगों को जेल भेजा था। सोमवार को अमर सिंह पक्ष के पप्पू और नरेश को भी पुलिस ने दबिश के बाद गिरफ्तार कर लिया। इस बीच मृतक हरिओम का अंतिम संस्कार पुलिस की मौजूदगी में हुआ। गांव में अभी भी सुरक्षा के लिहाज से पुलिस की तैनाती है।