बागपत की खाप पंचायत ने युवाओं पर नए नियम लागू किए हैं। सार्वजनिक रूप से हाफ पैंट पहनने और बच्चों के स्मार्टफोन इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। पंचायत का उद्देश्य पश्चिमी प्रभाव को कम कर सांस्कृतिक मूल्यों को बचाना है।
बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में खाप पंचायत ने एक बार फिर लड़कों और युवाओं के लिए कड़े नियम लागू किए हैं। पंचायत का नया निर्देश है कि बच्चों के स्मार्टफोन इस्तेमाल को कंट्रोल किया जाए और लड़के-लड़कियां सार्वजनिक जगहों पर हाफ पैंट यानी शॉर्ट्स न पहनें। 'थांबा पट्टी मेहर देश खाप' पंचायत ने यह अनोखा फैसला लिया है। उनका दावा है कि यह कदम बच्चों और युवाओं में बढ़ते पश्चिमी असर को रोकने और सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने के लिए है। पंचायत ने माता-पिता से नाबालिग बच्चों को स्मार्टफोन इस्तेमाल न करने देने की अपील की है। पंचायत का तर्क है कि स्मार्टफोन बच्चों को गलत रास्ते पर ले जाते हैं।
शालीन पहनावा
पंचायत ने सुझाव दिया है कि लड़के हाफ पैंट की जगह कुर्ता-पायजामा और लड़कियां सलवार-कुर्ता पहनें। उनका कहना है कि गांव में अनुशासन बनाए रखने के लिए शालीन पहनावा जरूरी है। जहां एक तरफ कुछ लोग इसे व्यक्तिगत आजादी पर हमला बता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का तर्क है कि बच्चों के विकास के लिए ऐसे नियम जरूरी हैं।
बागपत की खाप पंचायत के इस फैसले की वजह बताते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। एक खाप प्रतिनिधि पहनावे पर लगाए गए बैन के पीछे का तर्क समझाते हुए कहते हैं, "हमारे लड़के हाफ पैंट पहनते हैं। वे इसे घर के अंदर और बाहर दोनों जगह पहनते हैं। घर के अंदर पहनने की वजह से ही वे बाहर भी इसे पहनने की हिम्मत करते हैं। पैंट, कुर्ता-पायजामा या हमारे समाज के हिसाब से दूसरे कपड़े पहनकर ही बाहर निकलें। लड़के-लड़कियों का हाफ पैंट पहनकर गलियों में घूमना समाज के लिए एक भद्दा प्रदर्शन है। इसलिए, समाज द्वारा लिए गए इस फैसले का हम सब पालन करेंगे।"
मैरिज हॉल की जरूरत नहीं
पंचायत ने यह भी सुझाव दिया है कि शादियां मैरिज हॉल में करने के बजाय अपने गांव या घर के आंगन में सादगी से की जाएं। इससे कथित तौर पर पारिवारिक रिश्ते मजबूत होंगे और फालतू खर्चों से बचा जा सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि शादी के लिए महंगे कार्ड छपवाने की जगह वॉट्सऐप पर न्योता भेजना भी ठीक है। राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के सांसद राजकुमार सांगवान समेत कुछ नेताओं ने इस फैसले का समर्थन किया है। उनका मानना है कि सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने के लिए ऐसे कदम जरूरी हैं।
चेतावनी दी गई है कि पंचायत के इस निर्देश को तोड़ने वालों के खिलाफ सामाजिक कार्रवाई की जाएगी। पंचायत अधिकारियों ने परिवारों को बच्चों के पहनावे पर खास ध्यान देने का निर्देश दिया है। उत्तर भारत के कई गांवों में खाप पंचायतों ने पहले भी इसी तरह के पहनावे से जुड़े नियम लागू किए हैं। पहले लड़कियों के फोन इस्तेमाल करने और जींस पहनने पर लगाए गए बैन पर भी काफी विवाद हुआ था।
