वाराणसी में संत कबीर की प्राकट्य स्थली का 500 साल बाद गुलाबी पत्थरों से भव्य निर्माण हुआ है। 8 करोड़ की लागत से बने इस स्थल में 500 लोगों का सभागार है और इसका उद्घाटन पीएम मोदी करेंगे। यह अब एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है।
वाराणसी के लहरतारा स्थित संत कबीर की प्राकट्य स्थल की तस्वीर बदल गई है। मकराना के गुलाबी पत्थरों से पूरे जन्मस्थान का कायाकल्प किया गया है। कबीर कीर्ति मंदिर की भव्यता भी बढ़ गई है। एक सभागार भी बनाया गया है। जिसमें एक साथ 500 लोग बैठ कर कीर्तन कर सकते है। कबीर मठ अध्यात्म के साथ काशी का एक बड़ा पर्यटन स्थल बन सकता है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराए जाने की तैयारी है।
कबीर प्राकट्य स्थल
काशी के लहरतारा तालाब में संत कबीर ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कमल पुष्प पर जुलाहा माता-पिता नीरू और नीमा को मिले थे। इसके बाद कबीर ने समाज को एक दिशा देने का काम किया। 1518 में कबीर की मृत्यु गाजीपुर के मगहर में हुई है। इसके पीछे भी एक मान्यता है कि काशी में मरने वालों को स्वर्ग नसीब होता है। कबीर की सोच को तोड़ने में काशी के बाहर मगहर को चुना।
कबीर मठ की तस्वीर बदल गई
स्थानीय नागरिक सुमित मिश्रा ने बताया कि कबीर मठ का कायाकल्प होने के बाद यहां पर्यटक एवं कबीर पंथ के लोगों का आना लगातार बढ़ गया है। उन्होंने आगे कहा कि महंत गोविंद दास जी के प्रयास के कारण यहां की तस्वीर बदल गई है, हम लोगों ने वो दिन देखा है, जब यहां जंगल हुआ करता था और महंत जी अपने कुटिया में बैठकर साधना किया करते थे। कोई देखने एवं पूछने वाला नहीं था। मिश्रा ने आगे बताया कि पहले जब कबीर पंथ से जुड़े लोग यहां घूमने आते थे तो दुख और पीड़ा व्यक्त करते थे कि यहां पर कोई कबीर की जी के नाम पर विकास नहीं हुआ है, लेकिन आप लोगों को यहां का कायाकल्प देखकर अच्छा लगता है।
500 सालों बाद, 8 करोड रुपए से हुआ विकास
संत कबीर मठ के पीठाधीश्वर गोविंद दास शास्त्री ने बताया कबीर मठ में देश-विदेश से पर्यटक घूमने आते थे। शोध छात्र जो कबीर पर रिसर्च कर रहे है, उनके लिए यहां पर कोई ऐसा वातावरण नहीं मिलता था। लोगों में यहां आने पर एक निराशा मिलती थी। इसकी तस्वीर बदलने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं सरकारी विभागों में प्रस्ताव भेजा इसके बाद सरकार ने 8 करोड रुपए का प्रस्ताव पारित किया। 500 सालों के बाद यहां की तस्वीर बदल गई है। मकराना के गुलाबी पत्थरों से पूरे जन्मस्थान का - कायाकल्प कराया गया है।
संत कबीर स्मारक में 500 लोग कर सकेंगे साधना
गोविंददास ने आगे बताया कि कबीर प्राकट्य स्थली पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। संत कबीर के स्मारक पर एक साथ 500 से अधिक लोग ध्यान, योग और साधना कर सकेंगे। प्रवेश द्वार, ओपन थियेटर, संत कबीर घाट, कबीर स्मारक व पाथवे, हॉल का रिनोवेशन कराया गया है।
17 एकड़ में बना सिर्फ तालाब
गोविंद दास ने बताया कि संत कबीर जिस तालाब पर कमल के पुष्प प्राकट्य हुए थे । उसका भी सुंदरीकरण किया जाना है। यह पूरा तालाब 17 एकड़ में है। इसके लिए सीएम को पत्र लिखा गया है। एक म्यूज़ियम बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। जिसमें कबीर के चीजों को संरक्षण करने का काम किया जाएगा। कबीर के दोहे, वाणी एवं ग्रंथों रहेंगे। जो पर्यटकों एवं काशी आएं श्रद्धालु को आकर्षित करने का काम करेगा।
लोकार्पण के बाद श्रद्धालुओं को लहरतारा तालाब के सामने से प्राकट्य स्थली पर प्रवेश मिलेगा। प्रवेश द्वार पर सुरक्षाकर्मियों के लिए एक कमरा भी बनाया गया है। पर्यटन विभाग की देखरेख में कार्यकारी संस्था यूपीपीसीएल ने विकास कार्य कराया है।


