Gorakhpur Dog Attack News: गोरखपुर में आवारा कुत्तों ने दो साल के बच्चे पर हमला किया, चेहरे और हाथ गंभीर रूप से घायल। 10 टांके लगे, पुनर्निर्माण सर्जरी जरूरी, परिवार भारी इलाज खर्च से परेशान, घटना ने इलाके में दहशत फैला दी।
Gorakhpur Stray Dog Attack: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में शुक्रवार की सुबह एक डरावनी घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया। डुमरी चौराहे के पास सुंदरम नाम का दो साल का बच्चा अपने घर के बाहर खेल रहा था, तभी आवारा कुत्तों के झुंड ने उस पर अचानक हमला कर दिया। चार-पाँच कुत्तों ने बच्चे के चेहरे और हाथों पर बेरहमी से वार किया, जिससे गहरे घाव हो गए और उसे तुरंत अस्पताल ले जाने की आवश्यकता पड़ी। स्थानीय लोगों के अनुसार, बच्चा मदद के लिए चीख-पुकार करता रहा, लेकिन कुत्तों ने उसे छोड़ने से इनकार कर दिया। ग्रामीण लाठी लेकर दौड़े और कुत्तों को भगाने की कोशिश की। जब तक बच्चे के माता-पिता पहुंचते, तब तक सुंदरम के चेहरे और हाथ गंभीर रूप से घायल हो चुके थे।
सुंदरम की जान कैसे बची?
सुंदरम को पहले पाली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार और एंटी-रेबीज टीका लगाया गया। बाद में उसे गोरखपुर शहर के एक निजी अस्पताल में रेफर किया गया। यहाँ डॉक्टरों ने बच्चे की गंभीर चोटों पर सर्जरी की और चेहरे पर 10 टांके लगाए, जबकि हाथ पर काटने के गहरे घावों पर पट्टी बाँधी गई। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे को अब खतरे से बाहर माना जा सकता है, लेकिन भविष्य में पुनर्निर्माण सर्जरी की जरूरत होगी ताकि चेहरे पर निशान न पड़े।
क्या गोरखपुर में आवारा कुत्तों की संख्या खतरे का संकेत है?
यह घटना सवाल उठाती है कि क्या गोरखपुर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या बच्चों और आम नागरिकों के लिए खतरा बन रही है? प्रशासन द्वारा अब तक उठाए गए कदम पर्याप्त हैं या नहीं? क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस योजना बनाई जा रही है?
परिवार की आर्थिक चुनौती
सुंदरम के पिता राम पाल ने बताया कि अब तक सर्जरी पर लगभग 70,000 रुपये खर्च हो चुके हैं, जबकि आगे का उपचार लगभग 2 लाख रुपये तक पहुँच सकता है। परिवार ने सरकारी मदद के बिना इलाज का प्रबंध उधार लेकर किया है।
डॉक्टरों की पुष्टि
डॉक्टरों ने कहा कि बच्चा अब खतरे से बाहर है, लेकिन आने वाले हफ्तों में अनुवर्ती पुनर्निर्माण सर्जरी की आवश्यकता होगी। परिवार ने बताया कि अब तक इलाज पर लगभग 70,000 रुपये खर्च हो चुके हैं और आगे का खर्च लगभग 2 लाख रुपये तक पहुंच सकता है। अभी तक उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है।
