सार
यूपी के कानपुर जिले में भगवाना जगन्नाथ का एक ऐसा मंदिर है। जिसके गर्भगृह में टपकती बूंदे आने वाले मानसून के संकेत देती है। यह सुनकर आपको भले ही भरोसा न हो रहा हो। पर स्थानीय लोगों की यही मान्यता है।
कानपुर। यूपी के कानपुर जिले में भगवाना जगन्नाथ का एक ऐसा मंदिर है। जिसके गर्भगृह में टपकती बूंदे आने वाले मानसून के संकेत देती है। यह सुनकर आपको भले ही भरोसा न हो रहा हो। पर स्थानीय लोगों की यही मान्यता है। घाटमपुर के भीतरगांव विकास खंड के बेहटा बुजुर्ग गांव में यह प्राचीन मंदिर स्थित है।
जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा पत्थर बना अजूबा
मान्यताओं के मुताबिक, भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर एक पत्थर लगा है। मानसून के समय उस पत्थर से पानी की बूंदे टपकनी शुरु हो जाती हैं। स्थानीय लोगों को हर साल उसी से मानसून के संकेत मिलते हैं। जून का महीना शुरु हो चुका है। बताया जा रहा है कि मंदिर पर लगे पत्थर से पानी की छोटी छोटी बूंदे टपकनी शुरु हो गई हैं। बूंदों के छोटे आकार को देखते हुए मानसून के भी कमजोर होने का अंदेशा जताया जा रहा है।
मई-जून की भीषण गर्मी में भी पसीजता है पत्थर
मान्यताओं की मानें तो गर्भगृह के शिखर पर लगे पत्थर मई-जून की भीषण गर्मी में भी पसीजना शुरु हो जाता है। मानसून आने के करीबन 20 दिन पहले ही पत्थर से बूंदे टपकने लगती है। यदि उन बूंदों का आकार काफी छोटा होता है तो उससे समझा जाता है कि इस बार मानसून कमजोर होगा और यदि बूंदों का आकार बड़ा होता है तो माना जाता है कि मानसून घनघोर बरसात करेगा। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह पत्थर सिर्फ मानसून आने से पहले ही पसीजता है। बरसात के मौसम में सूख जाता है। यह मंदिर अपने आप में वैज्ञानिकों के लिए भी एक पहेली है।
क्या है मंदिर की खासियत?
- गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ के साथ सुभद्रा की काले पत्थर की मूर्तियां स्थापित।
- मंदिर पुरातत्व विभाग से संरक्षित है।
- मंदिर के निर्माण को लेकर अलग अलग मत।
- गर्भगृह के अंदर की नक्काशी दूसरी और चौथी सदी की।
- बौद्ध स्तूप शैली 11वीं सदी में निर्मित होने के संकेत देती है।
- इसे मानसून मंदिर भी कहा जाता है।