Mathura Businessman Suresh Chandra Agarwal Murder Case : मथुरा-वृंदावन के बड़े '555 बीड़ी' कारोबारी सुरेश चंद्र अग्रवाल की हत्या कर दी गई। यह मर्डर किसी और ने नहीं उनके बेटे ने किया है। पिता को मारने के बाद उसने भी सुसाइड कर लिया। 

मथुरा. उत्तर प्रदेश के मधुरा से जो खबर सामने आई है, वह झकझोर देने वाली है। यहां 75 साल के ''555 बीड़ी'' कारोबारी और मशहूर बीड़ी ब्रांड ‘दिनेश-555’ के मालिक सुरेश चंद्र अग्रवाल (Suresh Chandra Agrawal) की हत्या कर दी गई है। हैरानी की बात यह है कि उनका मर्डर किसी और ने नहीं, बल्कि उनके अपने बेटे नरेश अग्रवाल ने किया है। पिता को मारने के बाद आरोपी ने खुद की कनपटी पर गोली मारकर सुसाइड कर लिया। इस घटना से इलाके में कोहराम मचा हुआ है। 

जरा सी बात पर बेटे ने पिता को मार दी गोली

बताया जाता है कि सुरेश चंद्र अग्रवाल का 31 अक्टूबर की रात उनका बेटे नरेश अग्रवाल से शराब पीने को लेकर विवाद हुआ था। पिता के मना करने के बाद वह उनके सामने ड्रिंक कर रहा था। इसके बाद दोनों में कहासुनी हो गई और विवाद इतना बढ़ गया कि नरेश ने पिता पर गोली चला दी। फिर डर और बदनाम की वजह से खुद को शूट कर लिया। परिवार के लोग दोनों को अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन दोनों को मृत घोषित कर दिया गया। वहीं पिता-पुत्र का शनिवार देर शाम मोक्षधाम पर अंतिम संस्कार कर दिया गया है।

कौन थे 555 बीड़ी कारोबारी सुरेश अग्रवाल

कारोबारी सुरेश चंद्र अग्रवाल मथुरा ही नहीं यूपी के बड़े बीड़ी कारोबारी थे। कई राज्यों में उनका बीड़ी का बिजनेस फैला हुआ है। कई राज्यों में करोड़ों की प्रॉपर्टी उनके नाम पर है। बताया जाता है कि सुरेश अग्रवाल ने अपनी पत्नी आशा अग्रवाल के साथ 1970 में वृंदावन में बीड़ी के कारोबार शुरू किया था। शुरुआत में वह खुद जंगलों में जाकर बीड़ी के लिए पत्ते जुटाते थे। फिर अपने एक कमरे में परिवार के साथ बैठकर बीड़ी बनाते थे। धीरे धीरे उनका बिजनेस चलने लगा और उन्हेंने इसकी फैक्ट्री लगा ली। वह कभी चक्की चलाते थे, लेकिन बीड़ी के कारोबार ने उनकी किस्मत ही बदल दी। पश्चिम बंगाल में उनकी कई बेशकीमती जमीनें हैं, जिनकी कीमत अरबों में बताई जाती हैं। उनका एक बेटा कोलकाता तो वह अपने 2 बेटों (दिनेश, नरेश और महेश) के साथ वृंदावन से बीड़ी का कारोबार संभालते थे।

कैंसर से जीते...लेकिन बेटे से हार गए

दुखद बात यह है कि 75 साल के सुरेश अग्रवाल को दो साल पहले कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हुई थी। लेकिन समय पर इलाज और अपने जज्बे के कारण उन्होंने इसको मात दे दी थी। वह पूर्ण रूप से ठीक हो चुके थे। जिसको लेकर इलाके में उनकी मेहनत और संघर्ष की मिसाल दी जाती थी। लेकिन उन्हें क्या पता था कि वह जानलेवा बीमार से तो जीत गए, लेकिन अपने बेटे से हार जाएंगे।