सार

 देशभर के गणेश मंदिरों में भारी भीड़ देखी जा रही है। खासकर ऐतिहासिक या प्राचीन रूप से प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। ऐसा ही एक रहस्यमयी गणेश मंदिर यूपी के काशी में स्थित है। इसे लोहटिया बड़ा गणेश कहते हैं।

वाराणसी. देशभर में इस समय गणेश उत्सव-2023 का हर्ष-उल्लास छाया हुआ है। देशभर के गणेश मंदिरों में भारी भीड़ देखी जा रही है। खासकर ऐतिहासिक या प्राचीन रूप से प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। ऐसा ही एक रहस्यमयी गणेश मंदिर यूपी के काशी में स्थित है। इसे लोहटिया बड़ा गणेश कहते हैं।

काशी के प्रसिद्ध लोहटिया बड़ा गणेश की कहानी

काशी में स्थापित स्वयंभू भगवान गणेश जी मूर्ति त्रिनेत्र स्वरूप में है। श्रद्धालुओं का मानना है कि गणेश चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता गणेश भगवान के इस त्रिनेत्र स्वरूप के दर्शन करने से सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। सभी मन्नतें पूरी हो जाती हैं। कितना भी बड़ा संकट हो या कष्ट हो, यहां गणेशजी के दर्शन करने से लाभ मिलता है।

स्वयंभू त्रिनेत्र गणेश वाराणसी के लोहिटिया नामक जगह पर हैं, इसी वजह से इन्हें लोहटिया बड़ा गणेश भी कहते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि काशी में गंगा के साथ मंदाकिनी नदी भी बहती थीं। तब गणेशजी की यह प्रतिमा मिली थी। जिस दिन ये गणेश प्रतिमा मिली थी, उस दिन माघ मास की संकष्टी चतुर्थी थी। तभी से इस दिन यहां बड़ा मेला लगता है। बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

काशी के बड़ा गणेश मंदिर का रहस्य

काशी का बड़ा गणेश मंदिर 40 खंभों पर टिका है। इसकी शैली लोगों को आश्चर्यचकित करती है। मंदिर कितना पुराना है, यह स्पष्ट नहीं है। इस मंदिर में भगवान गणेश अपनी दोनों पत्नियां ऋद्धि- सिद्धि और संतानों शुभ-लाभ के साथ विराजे हैं।

मान्यताएं हैं कि गणेश जी के इस रूप की उपासना करने से व्यक्ति को ऋद्धि- सिद्धि तथा शुभ-लाभ की प्राप्ति होती है। मंदिर में बंद कपाट के पीछे होने वाली पूजा का खास महत्व है। जब मंदिर के कपाट बंद होते हैं, तब किसी को झांकने तक की अनुमति नहीं होती। ऐसा करने पर अशुभ हो सकता है।

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