वह पहले भगवान सूर्य, शिव और बुध की पूजा करते थे। उसके बाद ब्राह्मण, आचार्य, दीन, बौद्ध भिक्षु को दान देते थे। इस दान के क्रम में वह लाए हुए अपने खजाने की सारी चीजें दान कर देते थे। वह अपने राजसी वस्त्र भी दान कर देते थे, फिर वह अपनी बहन राजश्री से कपड़े मांग कर पहनते थे।