सार

12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन 15-17 फरवरी तक फिजी में हो रहा है। कवि व व्यंग्यकार पंकज प्रसून इस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

लखनऊ। यह लखनऊ के लिए गौरवान्वित होने का मौका है। राजधानी के निवासी और जाने-माने कवि व व्यंग्यकार पंकज प्रसून फिजी की राजधानी नांदी में 15-17 फरवरी तक आयोजत 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

उन्हें भारत सरकार ने अपने सरकारी प्रतिनिधि मंडल में शामिल किया है। वह विदेश मंत्रालय के विशेष विमान द्वारा 13 फरवरी को दिल्ली से रवाना होंगे। पंकज प्रसून ने बताया कि वह फिजी में विश्व भर से आए हिंदी के तमाम विद्वानों के समक्ष "कविता विधा में विज्ञान लेखन' को लेकर अपनी बात रखेंगे।

'हिंदी: पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक' है विश्व हिंदी सम्मेलन की थीम

विश्व हिंदी सम्मेलन की थीम 'हिंदी: पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक' है। पंकज प्रसून कृत्रिम मेधा द्वारा हिंदी को विश्व भाषा बनाने को लेकर अपना विजन रखेंगे। फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन सहित विश्व भर से आए तमाम राजदूत, डिप्लोमेट और सैकड़ों प्रतिभागी मौजूद रहेंगे।

विज्ञान को हिंदी में लिखने की है जरूरत

पंकज प्रसून ने बताया कि वह पहली बार इतने बड़े मंच से अपनी बात रखेंगे। पंकज प्रसून का मानना है की हिंदी को विश्व भाषा बनाने के लिए विज्ञान को हिंदी में लिखने की जरूरत है। इसके लिए कविता एक सशक्त माध्यम हो सकती है। यदि प्राथमिक स्तर के किताबों में रसपूर्ण विज्ञान कविताओं का समावेश हो तो वैज्ञानिक चेतना जागृत होगी ही और हिंदी भी आगे जाएगी। वह इस दिशा में पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं।

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पंकज प्रसून ने डीएनए, जींस, एटोमिक एनर्जी, न्यूक्लियर फिजिक्स, कार्डियो वैस्कुलर सिस्टम, जेनेटिक इंजीनियरिंग जैसे विषयों पर रोचक कविताएं लिखी हैं। पंकज प्रसून की किताब 'परमाणु की छांव में' एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।

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