सार

महाकुंभ 2025 में श्री पंच अग्नि अखाड़ा द्वारा दिव्य कलश यात्रा निकाली गई। संगम के पवित्र जल और मिट्टी को देश-विदेश भेजा जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक उपहार है।

प्रयागराज | महाकुंभ 2025 में बस कुछ ही दिन बचे हैं हालांकि जैसे जैसे वक्त करीब आ रहा है, महाकुंभ की भवयता और ज्यादा होती जा रही है। महाकुंभ के इस मेले में नई और दिव्य परम्पराएं देखने को मिल रही है। संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ के दौरान श्री पंच अग्नि अखाड़ा द्वारा निकाली गई दिव्य कलश यात्रा ने भी सभी का ध्यान अपनी तरफ़ आकर्षित किया है।

महाकुंभ में इस कलश यात्रा का उद्देश्य संगम की पवित्रता और आध्यात्मिकता को दुनिया भर में फैलना है। यात्रा के दौरान संगम की पवित्र मिट्टी और जल को एक विशेष कलश में रखा गया है। बता दें संगम के इस जल और मिट्टी को देश के विभिन्न स्थानों सहित विदेशों में भी भेजा जाएगा। श्री पंच अग्नि अखाड़ा के संतों ने बताया कि "यह यात्रा उन श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक उपहार है जो महाकुंभ में आकर संगम की पवित्रता का अनुभव नहीं कर सके।"

शंखनाद और मंत्रोच्चार के साथ यात्रा आरंभ

यात्रा के शुभारंभ के दौरान श्रद्धालुओं और संतों ने मिलकर एक भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया। शंखनाद और मंत्रोच्चार के साथ इस यात्रा का प्रारंभ हुआ, जो महाकुंभ की धार्मिक ऊर्जा को दर्शाता है। इस यात्रा में शामिल सभी कलश को विशेष धार्मिक विधियों और अनुष्ठानों के माध्यम से पवित्र किया गया।

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दुनिया भर में संगम की पवित्रता का संदेश

श्री पंच अग्नि अखाड़ा के संतों का मानना है कि संगम की पवित्रता को केवल कुंभ तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। इस यात्रा के जरिए संगम के जल और मिट्टी को न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति, धर्म, और एकता का प्रतीक माना जाएगा।

यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लोगों को उनकी जड़ों और संस्कृति से जोड़ने का काम भी करती है। श्री पंच अग्नि अखाड़ा के संतों का कहना है, "संगम का जल केवल जल नहीं, बल्कि यह एक ऊर्जा और जीवन का प्रतीक है, जो हर स्थान को पवित्र करता है।"

महाकुंभ 2025 के दौरान जारी रहेगी यात्रा

इस विशेष कलश यात्रा का आयोजन पूरे महाकुंभ के दौरान किया जाएगा। यह यात्रा संगम से शुरू होकर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जाएगी और लोगों तक महाकुंभ की पवित्रता का संदेश पहुंचाएगी। इसके साथ ही यह यात्रा महाकुंभ के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को और भी बढ़ाएगी।

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