सार
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए संगम में पहली बार तैरता ट्रैफिक कंट्रोल स्टेशन बनाया जा रहा है। 4 किलोमीटर लंबी फ्लोटिंग रिवर लाइन और फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म से नावों की आवाजाही नियंत्रित होगी।
महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए संगम क्षेत्र में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस बार प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के लिए एक नई और अनोखी पहल की है, जिसमें पहली बार नदी में 'फ्लोटिंग कंट्रोल स्टेशन' से ट्रैफिक नियंत्रण किया जाएगा। यह कदम श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और नदी यातायात को व्यवस्थित करने के लिए उठाया गया है। आइए जानते हैं इस नई व्यवस्था की खासियतें और कैसे यह महाकुंभ 2025 को और भी सुरक्षित बनाएगी।
महाकुंभ 2025 के दौरान नदी में श्रद्धालुओं और नाविकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 4 किलोमीटर लंबी फ्लोटिंग रिवर लाइन का निर्माण किया गया है। इसमें 500 मीटर की रिवर लाइन पूरी हो चुकी है, जो डीप वॉटर बैरिकेटिंग बॉक्स से तैयार की गई है। यह रिवर लाइन न केवल नावों की आवाजाही को सुचारू बनाएगी, बल्कि नदी में सुरक्षा का एक नया मानक स्थापित करेगी।
नदी में फ्लोटिंग ट्रैफिक चौराहे और प्लेटफॉर्म
जल पुलिस ने नदी में ट्रैफिक चौराहों की तरह फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म बनाए हैं, जिनका उपयोग नावों के संचालन और निगरानी के लिए किया जाएगा। इस सिस्टम के जरिए नावों के संचालन को एकल मार्ग प्रणाली के तहत नियंत्रित किया जाएगा, जिससे टकराव और दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाएगी।
4000 नावों का संचालन और विशेष सुरक्षा इंतजाम
महाकुंभ के दौरान करीब 4000 नावों का संचालन किया जाएगा, जिनकी निगरानी के लिए जल पुलिस के अलावा पीएसी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें तैनात रहेंगी। भारतीय नौसेना के 25 प्रशिक्षित गोताखोरों, 800 पीएसी कर्मियों और एसडीआरएफ के 150 सदस्यों की टीम 24 घंटे नदी में निगरानी रखेगी।
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ऑक्सीजन सिलेंडर और कंप्रेसर मशीनों की व्यवस्था
नदी में डूबने की घटनाओं से बचाव के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंप्रेसर मशीनों की व्यवस्था की गई है। इन मशीनों के जरिए आपात स्थिति में तुरंत ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही महाकुंभ 2025 के लिए 17 सब-स्टेशन और एक फ्लोटिंग ट्रैफिक कंट्रोल स्टेशन स्थापित किया गया है, जो नदी यातायात प्रबंधन और बचाव कार्यों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। नदी क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन कैमरों का उपयोग किया जाएगा, जिससे हर गतिविधि की निगरानी की जा सके।
जीपीएस ट्रैकिंग और स्पीड बोट्स का इस्तेमाल
नावों और बचाव टीमों की निगरानी के लिए जीपीएस ट्रैकिंग प्रणाली लागू की गई है। साथ ही, जल पुलिस की टीम स्पीड बोट्स के जरिए हर समय सतर्क रहेगी, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके। बता दें की प्रशासन ने महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे घाटों और नदी में बनाए गए यातायात नियमों का पालन करें और नाव में चढ़ने-उतरने के दौरान सावधानी बरतें। इसके अलावा, गहरे पानी में जाने से बचें और प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें।
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