सार

लखनऊ में एक पत्रकार और उनके परिवार पर हमले के बाद स्थानीय नेता ने थाने में धौंस दिखाई और आरोपियों को छुड़ा लिया। पत्रकारों के विरोध के बाद पुलिस ने कार्रवाई की।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक स्थानीय नेता ने धौंस दिखाकर थाने से पत्रकार के परिवार पर हमला करने वालों को छुड़ा लिया। यहीं नहीं सत्ता के नशे में चूर स्थानीय नेता ने थाने में पत्रकार के खिलाफ ही कार्रवाई कराने की धमकी दी। लेकिन पत्रकारों की गुजारिश पर एसीपी के थाने पहुंचने के बाद नेता की हनक कम हुई।

पत्रकार और उनके परिवार के साथ की बदसलूकी

इस स्थानीय नेता के पिस्टल लेकर थाने में पहुंचने और धौंस जमाने के वीडियो भी सामने आए हैं। जानकारी के मुताबिक, पत्रकार रवि श्रीवास्तव लखनऊ के 1090 चौराहे पर बनी फूड स्टॉल पर अपनी बेटी का जन्मदिन मना रहे थे। इसी दौरान गलती से हुई ऑनलाइन पेमेंट को वापस करने को लेकर उनका एक दुकानदार से विवाद हो गया। स्टॉल संचालक के साथियों ने मिलकर पत्रकार और उनके परिवार के साथ बदसलूकी की। पुलिस सेवा नंबर डायल 112 पर कॉल के बाद जब मौके पर पहुंची पुलिस उपद्रवियों को थाना ले आई तो स्थानीय नेता मनोज सिंह थाने पहुंचे और पत्रकार पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए धौंस जमाई।

इस घटना के बारे में लखनऊ के कई पत्रकारों ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है और दावा किया है कि अपने आप को वाई श्रेणी सुरक्षा प्राप्त भाजपा नेता बताने वाले मनोज सिंह ने थाने की पुलिस को धौंस में ले लिया था और पुलिस जिन उपद्रवियों को पकड़कर लाई थी उन्हें रिहा करा लिया था।

पुलिस ने की कार्रवाई

हालांकि, इस दौरान कई पत्रकारों ने लखनऊ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया और हजरतगंज के एसीपी स्वयं थाने पर पहुंचे। रिपोर्टों के मुताबिक, एसीपी के थाने पहुंचने के बाद धौंस जमा रहे नेता की हनक कुछ कम हुई। पीड़ित पत्रकार ने इस घटना के बाद गौतमपल्ली थाने में तहरीर दे दी है। पुलिस के मुताबिक, इस पर विधिक कार्रवाई की जा रही है।

लेकिन इस घटना के बाद ये सवाल भी उठा है कि अगर राजधानी लखनऊ में अगर वीआईपी क्षेत्र में एक पत्रकार के परिवार के साथ बदसलूकी की जा सकती है और थाने में आरोपी ही धौंस जमा सकते हैं तो एक आम इंसान के साथ किस तरह का बर्ताव किया जा सकता है।

 

 

पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया

लखनऊ पुलिस ने इस घटना में शामिल चार लोगों को हिरासत में लिया था। मौके पर मौजूद रहे पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने जब थाने में धौंस जमा रहे नेता की हनक निकाली तो खुद को वाई श्रेणी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति होने का दावा कर रहे मनोज सिंह भी खिसक लिए। लेकिन ये सवाल रह रहा है कि यदि ये बदसलूकी किसी पत्रकार नहीं बल्कि आम व्यक्ति के परिवार से की गई होती तो क्या तब भी पुलिस कार्रवाई कर पाती?

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