Samajwadi Party Office Dispute: सुप्रीम कोर्ट ने पीलीभीत नगर पालिका की संपत्ति पर समाजवादी पार्टी के कब्जे को बताया सत्ता का दुरुपयोग और धोखाधड़ी। 115 रुपये किराए पर कब्जा किए जाने को लेकर कोर्ट ने जताई नाराजगी।
Supreme Court on Samajwadi Party: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में समाजवादी पार्टी (सपा) को महज 115 रुपये प्रतिमाह किराए पर मिली नगरपालिका की संपत्ति को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत ने गंभीर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले को “राजनीतिक शक्ति का स्पष्ट दुरुपयोग” और “धोखाधड़ी से कब्जा” करार दिया है।
यह विवाद तब गहराया, जब सपा ने नगर पालिका परिषद के बेदखली आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए सपा की मंशा और किराया व्यवस्था दोनों पर सवाल खड़े किए।
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सिर्फ 115 रुपये में ऑफिस? कोर्ट ने जताई कड़ी आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सपा की तीखी आलोचना की। जब पार्टी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने किराया चुकाने की दलील दी, तो बेंच ने कहा
"क्या आपने कभी नगर पालिका क्षेत्र में सिर्फ 115 रुपये किराए में ऑफिस स्पेस सुना है? ये तो सत्ता के दुरुपयोग का साफ उदाहरण है।"
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ‘धोखाधड़ी से किया गया कब्जा’
बेंच ने यह भी साफ कहा कि यह मामला केवल एक गलत तरीके से आवंटन का नहीं है, बल्कि इसे “बाहुबल और राजनीतिक शक्ति से कब्जा”करने का प्रयास बताया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब कार्रवाई होती है, तब सभी को कागजात याद आने लगते हैं।
कोर्ट ने ‘अनाधिकृत कब्जा’ क्यों माना?
सपा की ओर से जब कोर्ट से छह सप्ताह की राहत मांगी गई, तो कोर्ट ने साफ शब्दों में जवाब दिया, “इस समय, आप अनाधिकृत कब्जाधारी हैं। यह आवंटन नहीं, कब्जा है।” साथ ही, कोर्ट ने यह सुझाव दिया कि यदि सपा को लगता है कि उन्हें अकेले टारगेट किया जा रहा है, तो वे हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर करें और पूरे मामले को उजागर करें।
998 दिन की देरी से याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराज़गी
कोर्ट ने यह भी बताया कि पीलीभीत सपा जिला अध्यक्ष आनंद सिंह यादव द्वारा दाखिल याचिका में 998 दिनों की देरी की गई थी, जिससे यह पूरा मामला और भी संदिग्ध नजर आया। कोर्ट ने कहा कि यह व्यवहार न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को ठेस पहुंचाता है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट भी कर चुका है याचिका खारिज
इससे पहले, 2 जुलाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी सपा की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। 16 जून को भी सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी के स्थानीय अध्यक्ष की याचिका को खारिज किया था, जिसमें बेदखली रोकने की मांग की गई थी।
क्या कहती है सपा की दलील?
सपा की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि पार्टी किराया लगातार भर रही है, फिर भी नगर पालिका अधिकारी बेदखली पर आमादा हैं। हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए साफ कहा कि “यह मामला किसी मामूली विवाद का नहीं, सत्ता के दुरुपयोग का है।”
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