UP school closed in Sawan: सावन माह में कांवड़ यात्रा के दौरान भारी भीड़ और सुरक्षा कारणों से अमरोहा जिले के सभी स्कूल-कॉलेज 19 जुलाई से शिवरात्रि तक बंद रहेंगे। डीएम निधि गुप्ता ने आदेश जारी कर किया छुट्टियों का ऐलान।

Amroha school holiday news: अमरोहा ज़िले में सावन के दौरान शिवभक्तों की भारी भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी शिक्षण संस्थानों को 19 जुलाई से लेकर शिवरात्रि तक बंद रखने का आदेश जारी किया है। जिलाधिकारी निधि गुप्ता के अनुसार यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू होगा और सभी निजी व सरकारी संस्थानों पर समान रूप से लागू होगा।

कांवड़ यात्रा बना वजह, क्यों जरूरी हो गया ये कदम?

हर साल की तरह इस बार भी उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों से लाखों कांवड़िए बृजघाट और हरिद्वार से जल लेने पहुंच रहे हैं। बृजघाट से अमरोहा, मुरादाबाद, बरेली, रामपुर आदि की ओर लौटने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ से यातायात और सुरक्षा दोनों प्रभावित हो रहे हैं, जिससे स्कूलों को बंद करने की जरूरत पड़ी।

यह भी पढ़ें: Chhangur Baba की किताब में छिपी ग़ज़वा-ए-हिन्द की तैयारी? जांच एजेंसियों को मिला बड़ा सुराग

सावधान! हाईवे पर बदल गया रास्ता, रूट डायवर्जन लागू

सावन के दूसरे सोमवार और शिवरात्रि जैसे भीड़भाड़ वाले दिनों को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन ने नेशनल हाईवे सहित कई मार्गों पर रूट डायवर्जन लागू कर दिया है। इससे कांवड़ यात्रा के दौरान यातायात व्यवस्था सुचारू बनी रहेगी और आपात स्थितियों से बचा जा सकेगा।

छात्रों की पढ़ाई पर असर या सुरक्षा की प्राथमिकता?

प्रशासन का कहना है कि यह फैसला बच्चों और नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। पहले से सूचना जारी कर दी गई है ताकि अभिभावकों और छात्रों को कोई असुविधा न हो। प्रशासन ने नागरिकों से सहयोग की अपील भी की है।

हर साल की कहानी, इस बार ज़िम्मेदारी ज़्यादा

इस बार कांवड़ यात्रा का प्रभाव पहले से अधिक देखा जा रहा है। भीड़, ट्रैफिक और सुरक्षा, तीनों ही मोर्चों पर प्रशासन को कड़ी चुनौती मिल रही है। स्कूलों की छुट्टी इसी चुनौती को संतुलित करने का एक पूर्व नियोजित प्रयास माना जा रहा है।

अमरोहा बना 'ट्रायल ज़ोन' क्या दूसरे ज़िले भी अपनाएंगे यही मॉडल?

अमरोहा जैसे संवेदनशील जिलों में सावन के दौरान इस तरह की व्यवस्थाएं भविष्य में एक नया मानक बन सकती हैं। यदि यह निर्णय कारगर साबित होता है, तो अन्य ज़िलों में भी यातायात प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण के लिए इसे अपनाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा में कलयुगी 'सावित्री', पति को कंधे पर बैठाकर निकली भोलेनाथ की राह पर!