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राम-सीता की मूर्ति के लिए नेपाल से अयोध्या लाई जा रहीं शालिग्राम शिलाएं, देखें Photos
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इन शिलाओं से बनाई गई मूर्तियां गर्भगृह में रखी जाएंगी या परिसर में कहीं और स्थापित होंगी इसको लेकर अभी कोई जानकारी नहीं है। माना जा रहा है कि इस मामले में ट्रस्ट का निर्णय ही अंतिम होगा। नेपाल के पोखरा में शालिग्रामी नदी (काली गंडकी) से निकाली गई यह दोनों ही शिलाएं जियोलॉजिकल और ऑर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की देखरेख में निकाली गई हैं।
इन शिलाओं को पूजा-अर्चना के बाद ट्रक से अयोध्या भेजा जा रहा। वहीं रास्ते में जहां से भी यह शिलाएं गुजर रही हैं वहां पर लोग स्वागत और पूजा-अर्चना कर रहे हैं। इसमें से एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरी शिला का वजन 14 टन है।
शिलाओं के साथ ही यात्रा में तकरीबन 100 लोग चल रहे हैं। उनके विश्राम करने का भी इंतजाम किया गया है। नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री कमलेंद्र निधि, जनकपुर के महंत भी इस यात्रा में हैं। वह अयोध्या तकआएंगे। यात्रा के साथ ही राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल भी हैं।
जनकपुर में 5 कोसी परिक्रमा के बाद में इन शिलाओं का प्रस्तान अयोध्या की ओर होगा। ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि शिलाओं के अयोध्या पहुंचने के बाद ट्रस्ट अपना काम करेगा। अनुमान है कि यह शिलाएं 2 फरवरी को अयोध्या पहुंचेंगी। यह दोनों ही शिलाएं तकरीबन 6 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही हैं।
नेपाल की शालिग्रामी नदी भारत में प्रवेश के बाद नारायणी के नाम से जानी जाती है। कागजों पर इसका नाम बूढ़ी गंडकी नदी है। शालिग्रामी नदी के काले पत्थरों को भगवान शालिग्राम के रूप में भी पूजा जाता है। शालिग्राम पत्थर सिर्फ शालिग्रामी नदी से ही निकलता है।
इन विशाल शिलाखंडों को निकालने से पहले भी धार्मिक अनुष्ठान किए गए। नदी से क्षमा प्रार्थना की गई और विशेष पूजा भी हुई। इसके बाद ही इन्हें अयोध्या लाया जा रहा है। इस बीच 26 जनवरी को गलेश्वर महादेव मंदिर में रूद्राभिषेक भी किया गया।
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