उत्तर प्रदेश में योगी सरकार एआई आधारित तकनीकों से सुशासन को नई दिशा दे रही है। त्रिनेत्र 2.0, एआई पावर्ड जेल मॉनिटरिंग और उन्नत फोरेंसिक लैब ने कानून व्यवस्था को मजबूत किया है। जानिए कैसे प्रदेश में डिजिटल सुशासन की नई मिसाल स्थापित हो रही है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार प्रशासनिक व्यवस्था को नए युग की तकनीक से जोड़कर सुशासन का एक ऐसा मॉडल तैयार कर रही है, जिसकी मिसाल देश में तेजी से चर्चा का विषय बन रही है। कानून व्यवस्था, जांच तंत्र और जेल सुरक्षा,हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा मॉनिटरिंग और स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम को शामिल किया जा रहा है। सरकारी मशीनरी में तकनीक के इस तेज समावेशन ने अपराध नियंत्रण और न्याय प्रक्रिया की गति को नए स्तर पर पहुंचा दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में उच्चीकृत क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला के उद्घाटन के दौरान स्पष्ट कहा था कि “अब प्रदेश में अपराधी के बचने का कोई रास्ता नहीं बचेगा। वैज्ञानिक फोरेंसिक जांच मिनटों में अपराध की कड़ियों को उजागर कर देगी।” सरकार की इस नीति के पीछे उद्देश्य स्पष्ट है, सटीक तकनीक और त्वरित कार्रवाई के आधार पर अपराधियों को कानून के कठघरे तक पहुँचाना।
त्रिनेत्र 2.0: अपराधियों की डिजिटल पहचान का सबसे आधुनिक प्लेटफॉर्म
राज्य की पुलिस व्यवस्था को स्मार्ट, तेज और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने त्रिनेत्र 2.0 नामक उन्नत डिजिटल डेटाबेस विकसित किया है। यह एक एआई एन्हांस्ड सिस्टम है जिसमें राज्य भर का क्राइम डेटा डिजिटल रूप से संरक्षित है।
फेशियल रिकग्निशन, वॉइस आइडेंटिफिकेशन और टेक्स्ट-आधारित क्वेरी जैसी अत्याधुनिक तकनीकें पुलिस को संदिग्धों की पहचान करने में त्वरित सहायता प्रदान करती हैं। इससे न सिर्फ जांच प्रक्रिया तेज हुई है, बल्कि केस सॉल्विंग रेट में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है।
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2023 में शुरू हुए ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत बैंक, स्कूल, कॉलेज, बाजार, धार्मिक स्थल और हाइवे जैसे संवेदनशील स्थानों पर नागरिक संगठनों की मदद से बड़े पैमाने पर सीसीटीवी लगाए गए। 2025 की शुरुआत तक पूरे प्रदेश में 11,07,782 सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए जा चुके थे।इसी तकनीकी मजबूती का परिणाम है कि त्रिनेत्र सिस्टम की मदद से अब तक 5,718 गंभीर अपराधों (डकैती, लूट समेत अन्य श्रेणियों) का सफल अनावरण हो चुका है।
जेल सुरक्षा में एआई आधारित वीडियो एनालिटिक्स का उपयोग
योगी सरकार जेल सुरक्षा को भी आधुनिक तकनीक से लैस कर रही है। राज्य की जेलों में एआई आधारित वीडियो एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म स्थापित किया गया है, जो कैदियों की गतिविधियों पर रियल-टाइम निगरानी रखता है।किसी भी संदिग्ध हरकत, असामान्य मूवमेंट या सुरक्षा जोखिम की तुरंत पहचान हो जाती है, जिससे जेल प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करने में सुविधा होती है।
वरिष्ठ अधिकारी भी अब रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से किसी भी जेल की स्थिति को सीधे देख सकते हैं और आवश्यक निर्देश तत्काल जारी कर सकते हैं। उन्नत फोरेंसिक साइंस लैब: जांच क्षमता में ऐतिहासिक सुधारगोरखपुर स्थित उच्चीकृत फोरेंसिक साइंस लैब के संचालन से जांच एजेंसियों की वैज्ञानिक क्षमता को नई दिशा मिली है। यह लैब अत्याधुनिक मशीनों और विशेष प्रशिक्षित विशेषज्ञों से लैस है। आधुनिक फोरेंसिक तकनीक की वजह से अपराध की कड़ियों को जोड़ने में समय कम लग रहा है और सबूत अधिक मजबूत बन रहे हैं।
सरकार का मानना है कि वैज्ञानिक तरीके से की गई जांच न्याय प्रदान करने में निर्णायक भूमिका निभाती है, इसलिए प्रदेश की फोरेंसिक संरचना को और विस्तृत करने पर जोर दिया जा रहा है।
तकनीक-संचालित सुशासन की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश
इन सभी पहलों, त्रिनेत्र 2.0, एआई मॉनिटरिंग सिस्टम और उन्नत फोरेंसिक तकनीक का लक्ष्य एक ही है: उत्तर प्रदेश में पारदर्शी, सुरक्षित और तकनीक-आधारित सुशासन की स्थापना।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश प्रशासन ऐसी कार्यशैली की ओर अग्रसर है जहाँ अपराधियों के लिए कानून से बच निकलना असंभव और आम नागरिक के लिए सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। एआई संचालित यह नया मॉडल न सिर्फ प्रदेश की कानून व्यवस्था को बेहतर कर रहा है, बल्कि यूपी को तकनीक-आधारित प्रशासनिक सुधार का राष्ट्रीय उदाहरण भी बना रहा है।
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