योगी सरकार साइबर अपराध रोकने के लिए यूपी पुलिस को हाईटेक ट्रेनिंग दे रही है। सेमिनार में डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े खतरों पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने एआई, कानून और वैश्विक सहयोग को समाधान बताया।

लखनऊ, 19 अगस्त: योगी सरकार साइबर अपराध रोकने के लिए यूपी पुलिस अधिकारियों को लगातार हाईटेक तकनीक की ट्रेनिंग दे रही है। इसी क्रम में सीएम योगी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज की ओर से तीन दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया।

सेमिनार के दूसरे दिन (मंगलवार) साइबर विशेषज्ञों ने डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी के जरिये होने वाले अपराधों पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने बताया कि साइबर अपराधी इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर लोगों को ठगते हैं और उन्हें अपराध का शिकार बनाते हैं।

डार्क वेब से जुड़े अपराध और क्रिप्टोकरेंसी का खतरा

सेमिनार का संचालन कर्नल नीतीश भटनागर ने किया। विशेषज्ञों ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी, जो पहले एक तकनीकी उपलब्धि थी, अब डार्क वेब पर अपराधों का मुख्य जरिया बन चुकी है। पैनेलिस्ट आमिर ने कहा कि डार्क वेब पर न सिर्फ चोरी का डेटा बेचा जाता है, बल्कि मानव तस्करी और ड्रग्स का धंधा भी होता है।

पैनेलिस्ट विष्णु नारायण शर्मा ने बताया कि डार्क वेब पूरी तरह गुमनाम और विकेंद्रीकृत है, इसलिए अपराधियों का पता लगाना मुश्किल है। लेकिन हाईटेक तकनीक की मदद से इन्हें पकड़ना संभव है। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि नया डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन कानून इन अपराधों पर नियंत्रण में मदद करेगा।

साइबर सेल DIG पवन कुमार का बयान

साइबर सेल के डीआईजी पवन कुमार ने कहा कि आज 90% साइबर अपराध क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स पर हो रहे हैं। देश की एजेंसियों के लिए यह बड़ी चुनौती है। हालांकि योगी सरकार लगातार इस दिशा में सख्त कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी नई तकनीकें भविष्य में साइबर अपराध रोकने में मददगार साबित होंगी। साथ ही उन्होंने वैश्विक अपराधों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर जोर दिया।

डार्क वेब पर होने वाली इलीगल एक्टिविटीज

डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है जो सामान्य सर्च इंजन पर दिखाई नहीं देता। इसे केवल खास टूल्स जैसे टॉर ब्राउज़र से एक्सेस किया जा सकता है। यहां कई खतरनाक गतिविधियां चलती हैं, जैसे:

  • ड्रग्स और नशीली चीजों का अवैध व्यापार
  • किडनैपिंग और मानव तस्करी
  • चोरी किए गए डेटा की बिक्री
  • पैसे लेकर हत्या या हिंसा की योजनाएं

क्रिप्टोकरेंसी और बढ़ते साइबर अपराध

बिटकॉइन और एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी ने दुनिया में नया वित्तीय विकल्प दिया है। लेकिन इसका दुरुपयोग भी बढ़ा है। जैसे-

  • फर्जी एक्सचेंज और धोखाधड़ी योजनाएं
  • गुमनाम ट्रांजेक्शन के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद फंडिंग
  • क्रिप्टो वॉलेट्स और एक्सचेंज पर हैकिंग हमले

इन खतरों से कैसे निपटें

  • एनक्रिप्शन और सुरक्षित संचार का इस्तेमाल जरूरी है।
  • मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन से वॉलेट और एक्सचेंज सुरक्षित किए जाएँ।
  • कानून प्रवर्तन एजेंसियों को डार्क वेब पर सख्त निगरानी रखनी होगी।
  • क्रिप्टो ट्रांजेक्शन ट्रैकिंग टूल्स का इस्तेमाल कर अपराधियों तक पहुँचना होगा।
  • जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को क्रिप्टो और डार्क वेब के खतरों से सावधान करना होगा।
  • साइबर सुरक्षा शिक्षा आम नागरिकों और व्यवसायों को दी जानी चाहिए।