UP Forensic Institute: उत्तर प्रदेश में अपराध जांच को तेज करने के लिए योगी सरकार ने फॉरेंसिक साइंस लैब्स का विस्तार और नई तकनीकें शुरू की हैं। साइबर क्राइम से लेकर डीएनए टेस्टिंग तक, आधुनिक सुविधाओं से अपराधियों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
Forensic Science Labs In Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में अपराध नियंत्रण और न्याय प्रणाली को मजबूत करने के लिए योगी सरकार ने फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं का बड़ा विस्तार किया है। 2017 से पहले प्रदेश में केवल 4 प्रयोगशालाएं थीं, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 12 हो गई है। साथ ही प्रदेश का पहला फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट भी स्थापित किया गया है, जिससे युवाओं को फॉरेंसिक क्षेत्र में करियर बनाने का अवसर मिला है।
क्यों किया गया फॉरेंसिक विस्तार?
योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपराध और अपराधियों पर प्रभावी कार्रवाई के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाया गया। फॉरेंसिक तकनीक और NAFIS जैसी हाईटेक प्रणालियों के जरिए पुलिस अपराधियों की पहचान और अज्ञात शवों के मिलान को तेजी से कर पा रही है। इससे अपराधियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया और भी प्रभावी हुई है।
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अब प्रदेश में 12 सक्रिय प्रयोगशालाएं
अब तक लखनऊ, वाराणसी, आगरा और गाज़ियाबाद के अलावा झांसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर, बरेली, गोंडा, अलीगढ़ और मुरादाबाद में भी फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं संचालित हैं। सरकार ने अयोध्या, बस्ती, बांदा, आज़मगढ़, मीरजापुर और सहारनपुर में 6 नई प्रयोगशालाओं की स्थापना भी शुरू कर दी है।
NAFIS तकनीक से अपराधियों की पहचान में क्रांति
National Automated Fingerprint Identification System (NAFIS) के माध्यम से अब प्रदेश में लगभग 4,14,473 फिंगरप्रिंट डिजिटलीकृत किए जा चुके हैं। इससे अपराधियों और अज्ञात शवों की पहचान आसान और तेज हो गई है।
फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इसमें साइबर अपराध, बहुपक्षीय कानूनी ढांचा और रणनीतिक काउंटरमेजर्स जैसे मुद्दों पर दुनियाभर के विशेषज्ञ चर्चा करेंगे।
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