Air India Flight AI-887 को इंजन ऑयल प्रेशर जीरो होने के बाद दिल्ली लौटना पड़ा। जानिए इंजन ऑयल प्रेशर जीरो का मतलब क्या होता है, फ्लाइट में कितना बड़ा खतरा होता है और पायलट ऐसे हालात में क्या कदम उठाते हैं?
Engine Oil Pressure Zero Flight Risk Explained: सोमवार को दिल्ली से मुंबई जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-887 को टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद वापस लौटना पड़ा। वजह थी, इंजन ऑयल प्रेशर का अचानक जीरो हो जाना। यात्रियों के लिए यह एक तकनीकी खराबी भर हो सकती है, लेकिन एविएशन की दुनिया में यह संकेत सबसे गंभीर चेतावनियों में गिना जाता है। जब किसी विमान की फ्लाइट के दौरान कॉकपिट में 'इंजन ऑयल प्रेशर जीरो' (Engine Oil Pressure Zero) का अलर्ट आता है, तो यह पायलट के लिए रेड अलार्म जैसा होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर एयर इंडिया की फ्लाइट में क्या हुआ और इंजन ऑयल प्रेशर जीरो होना कितना बड़ा खतरा होता है? आइए आसान भाषा में समझते हैं...
एयर इंडिया फ्लाइट AI-887 में क्या हुआ?
एयर इंडिया की बोइंग 777-300ER फ्लाइट AI-887 ने दिल्ली एयरपोर्ट से मुंबई के लिए उड़ान भरी ही थी कि कॉकपिट में पायलट्स को दाएं इंजन (Engine No.2) के ऑयल प्रेशर में तेज गिरावट दिखी। कुछ ही पलों में ऑयल प्रेशर जीरो हो गया। यह संकेत मिलते ही पायलट्स ने स्टैंडर्ड इमरजेंसी प्रोसीजर अपनाया, विमान को एक इंजन पर कंट्रोल में रखा और किसी भी रिस्क को न लेते हुए फ्लाइट को दिल्ली वापस लाने का फैसला किया। फ्लाइट सुरक्षित लैंड हुई, सभी यात्री सुरक्षित रहे, लेकिन एक्सपर्ट्स यह घटना अपने आप में बहुत गंभीर मानते हैं।
फ्लाइट के इंजन ऑयल प्रेशर जीरो होने का मतलब क्या है?
एयरक्राफ्ट इंजन में ऑयल का काम सिर्फ चिकनाई देना नहीं होता है। ऑयल प्रेशर यह बताता है कि इंजन के अंदर तेल सही मात्रा और सही दबाव में घूम रहा है या नहीं। जब ऑयल प्रेशर जीरो हो जाता है, तो इसका सीधा मतलब है इंजन के अंदर तेल का सर्कुलेशन रुक गया है, इंजन के मूविंग पार्ट्स बिना लुब्रिकेशन के चल रहे हैं, इंजन किसी भी वक्त जाम (seize) हो सकता है। एविएशन की भाषा में यह स्थिति टोटल इंजन फेलियर की ओर पहला कदम माना जाता है।
फ्लाइट के लिए यह कितना बड़ा खतरा होता है?
एयरक्राफ्ट इंजन हजारों RPM पर और 1000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान पर काम करता है। ऐसे में अगर ऑयल न पहुंचे तो मेटल पार्ट्स आपस में घिसने लगते हैं, कुछ ही सेकेंड में इंजन ओवरहीट हो सकता है, इंजन के टूटने (Uncontained Engine Failure) का खतरा बढ़ जाता है और आग लगने या इंजन फटने जैसी गंभीर स्थिति बन सकती है। यही वजह है कि ऑयल प्रेशर जीरो को हल्के में नहीं लिया जाता है।
पायलट ऐसे हालात में क्या करते हैं?
जैसे ही ऑयल प्रेशर जीरो का संकेत मिलता है पायलट इंजन को तुरंत शटडाउन करने की प्रक्रिया शुरू करते हैं, विमान को एक इंजन पर कंट्रोल में रखा जाता है, नजदीकी और सुरक्षित एयरपोर्ट पर लौटने का फैसला लिया जाता है, जरूरत हो तो फ्यूल बर्न कर के सुरक्षित लैंडिंग की जाती है। बोइंग 777 जैसे ट्विन-इंजन विमान को इसीलिए डिजाइन किया गया है कि वह एक इंजन पर भी सुरक्षित लैंडिंग कर सके।
क्या ऑयल प्रेशर जीरो होने पर विमान क्रैश हो सकता है?
अगर समय पर कार्रवाई न हो तो खतरा बहुत बड़ा हो सकता है। लेकिन आधुनिक विमानों में एडवांस सेंसर, ऑटोमैटिक वार्निंग सिस्टम, सख्त SOPs (Standard Operating Procedures) और हाई-ट्रेंड पायलट होते हैं। इन सबकी वजह से ऐसे मामलों में विमान को सुरक्षित वापस लाया जा सकता है, जैसा AI-887 के केस में हुआ।
इंजन ऑयल प्रेशर क्यों गिरता है?
ऑयल प्रेशर जीरो होने की कुछ प्रमुख वजहें हो सकती हैं। इसमें ऑयल लीक, ऑयल पंप फेल होना, सेंसर या सिस्टम फेल्योर, इंटरनल इंजन डैमेज, लैंडिंग के बाद इंजीनियर पूरी जांच करते हैं और DGCA जैसे रेगुलेटर इसकी निगरानी करते हैं।


