सार
रिपोर्ट्स के अनुसार, चीनी हैकिंग समूह 'वोल्ट टाइफून' ने भारतीय-अमेरिकी इंटरनेट कंपनियों में सेंध लगाई है। यह समूह कथित तौर पर चीनी सरकार द्वारा समर्थित है और अमेरिका में भी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहा है।
भारतीय- अमेरिकी कंपनियों में चीनी हैकर्स ने सेंध लगाई है. 'वोल्ट टाइफून' नामक चीनी हैकिंग कैंपेन इसके पीछे बताया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, यह समूह चीनी सरकार के वित्तीय सहयोग से काम करता है. सुरक्षा शोधकर्ताओं का मानना है कि हैकिंग के लिए कैलिफ़ॉर्निया स्थित एक स्टार्टअप में मौजूद एक बग का फायदा उठाया जा रहा है. लुमेन टेक्नोलॉजीज इंटरनेशनल की एक इकाई ब्लैक लोटस लैब्स ने खुलासा किया है कि वोल्ट टाइफून ने अमेरिका के चार और भारत के एक इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के वर्सा नेटवर्क प्रोडक्ट में कमजोरियों का फायदा उठाकर सेंध लगाई है.
लोटस लैब्स ने बताया है कि वोल्ट टाइफून वर्सा सिस्टम में खामियों का फायदा उठाकर घुसपैठ कर रहा है. चेतावनी में कहा गया है कि यह अभी भी जारी है. इस खुलासे के बाद अमेरिका के महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम पर साइबर हमलों का खतरा मंडरा रहा है. चीन द्वारा ताइवान पर संभावित कब्जे जैसे संकट के समय में अमेरिका इस तरह की हरकतों को गंभीरता से ले रहा है. अमेरिका ने पहले ही आरोप लगाया था कि वोल्ट टाइफून ने अमेरिका में कुछ सिंचाई सुविधाओं, पावर ग्रिड और संचार नेटवर्क सहित बुनियादी ढांचे के नेटवर्क में सेंध लगाई है. वाशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने इन आरोपों को खारिज किया था.
'वोल्ट टाइफून' वास्तव में खुद को 'डार्क पावर' कहने वाला एक रैंसमवेयर साइबर क्रिमिनल ग्रुप है. चीन ने सफाई देते हुए कहा कि उन्हें किसी भी क्षेत्र या देश द्वारा प्रायोजित नहीं किया जाता है. इस 'वोल्ट टाइफून' कैंपेन का खुलासा सबसे पहले 2023 में माइक्रोसॉफ्ट ने किया था. इसके बाद विभिन्न कंपनियों से हैकर्स से बचाव के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम करने की मांग की गई थी. चीनी सरकार का दावा है कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है और यह सब साइबर अपराधियों का काम है.