सार

नए शोध से पता चला है कि CNG वाहन अपेक्षा से अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। अध्ययन में पाया गया कि CNG वाहन, विशेष रूप से व्यावसायिक वाहन, उच्च स्तर पर नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु गुणवत्ता के लिए चिंता का विषय है।

म तौर पर, कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) से चलने वाले वाहनों को प्रदूषण कम करने वाला माना जाता है. इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ CNG वाहनों को भी सबसे स्वच्छ ईंधन के रूप में गिना जाता है. लेकिन अब एक नई शोध रिपोर्ट ने इस धारणा को चुनौती दी है. CNG की शुद्धता के विपरीत परिणाम इस अध्ययन में सामने आए हैं. इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (ICCT) के एक नए अध्ययन में कहा गया है कि CNG वाहन हम में से कई लोगों के सोचने से कहीं अधिक प्रदूषण फैलाते हैं.

प्रदूषण नियंत्रण (PUC) परीक्षणों में पास होने के बावजूद, भारतीय सड़कों पर चलने वाले कई वाहन अपने उत्सर्जन मानकों से परे प्रदूषण फैला रहे हैं, यह बात इस नई शोध रिपोर्ट में सामने आई है. द रियल अर्बन एमिशन्स (TRUE) पहल के तहत यह अध्ययन दिल्ली और गुरुग्राम में अधिकारियों के सहयोग से किया गया था. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसका निकटतम शहर गुरुग्राम, विशेष रूप से सर्दियों के दौरान खराब वायु गुणवत्ता का अनुभव करते हैं. सड़कों पर लगातार बढ़ती वाहनों की संख्या इस समस्या को और बढ़ा देती है.

इस अध्ययन में, वाहनों से वास्तविक दुनिया के उत्सर्जन को मापने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया गया था. इसके अनुसार, यह जांच की गई कि ये वाहन वास्तव में कितना उत्सर्जन करते हैं. ICCT के अध्ययन के अनुसार, प्रयोगशाला परीक्षणों में दर्ज किए गए आंकड़ों की तुलना में सड़क पर वाहनों से होने वाला प्रदूषण बहुत अधिक है.

इस अध्ययन के तहत 65 दिनों तक 20 अलग-अलग परीक्षण स्थलों पर परीक्षण किए गए. इनमें से अधिकांश परीक्षण स्थल दिल्ली में और कुछ गुरुग्राम में थे. इस अभियान में 111,000 से अधिक मान्य मापों की जाँच की गई. इसमें नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC), अपारदर्शी धुएँ का उत्सर्जन, पार्टिकुलेट मैटर का प्रॉक्सी (PM) आदि की जाँच की गई. इस परीक्षण में दोपहिया वाहन, तिपहिया वाहन, निजी कार (PC), टैक्सी, हल्के मोटर वाहन और बसों को शामिल किया गया था. अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि BS-VI निजी कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन BS-IV कारों की तुलना में 81 प्रतिशत कम है. वहीं, BS-VI बसें BS-IV बसों की तुलना में 95 प्रतिशत कम NOx उत्पन्न करती हैं. सामान्य वाहनों के लिए BS-6 में अपग्रेड करना वांछनीय है. लेकिन अध्ययन में कहा गया है कि CNG वाहनों से होने वाला प्रदूषण चिंताजनक है.

CNG से संबंधित निष्कर्ष
अध्ययन में पाया गया कि CNG से चलने वाले वाहन उच्च दर से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन करते हैं. निजी वाहनों की तुलना में व्यावसायिक वाहन प्रदूषण में अधिक योगदान करते हैं. BS-VI CNG टैक्सियाँ और लाइट गुड्स वाहन निजी वाहनों की तुलना में क्रमशः 2.4 से पाँच गुना अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं.

प्रयोगशाला परीक्षणों की तुलना में, तिपहिया वाहन, निजी कार, टैक्सी और बसों सहित BS-VI CNG वाहन सड़क पर आने पर अधिक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं. प्रयोगशाला परीक्षणों में पाया गया कि श्रेणी II के लाइट गुड्स वाहन अपनी NOx सीमा से 14.2 गुना अधिक उत्सर्जन करते हैं. अतः वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए केवल प्रयोगशाला परीक्षणों पर निर्भर रहना उचित नहीं है, यह बात भी इस अध्ययन में सामने आई है.

देश में CNG वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, यह इस संदर्भ में उल्लेखनीय है. पिछले कुछ वर्षों में, देश में CNG वाहनों की संख्या और पहुँच में लगातार तेज़ी से वृद्धि हुई है. बेहतर माइलेज के लिए आज बहुत से लोग CNG वाहनों का ही इस्तेमाल करते हैं. शुरुआती दिनों में CNG की कीमत पेट्रोल और डीजल से आधी थी. लेकिन अब मांग बढ़ने के साथ ही CNG की कीमतों में भी इजाफा हो रहा है. इसके बावजूद CNG वाहनों का माइलेज उपभोक्ताओं को आकर्षित करने वाला एक बड़ा कारण है.

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के पास CNG वाहनों की सबसे बड़ी रेंज है. अब तक केवल हैचबैक तक ही सीमित रहने वाला CNG वाहन वर्ग अब SUV तक फैल गया है. टाटा मोटर्स, हुंडई और टोयोटा के वाहन बेड़े में भी CNG वाहन बढ़ रहे हैं.

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि CNG संस्करण केवल चार पहिया वाहनों, तिपहिया वाहनों या बड़ी बसों तक ही सीमित नहीं हैं. CNG की लोकप्रियता को देखते हुए, देश की प्रमुख दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी बजाज ऑटो ने हाल ही में दुनिया की पहली CNG बाइक बजाज फ्रीडम लॉन्च की थी. इस मोटरसाइकिल में दो लीटर की क्षमता वाले दो फ्यूल टैंक दिए गए हैं.