सार

गूगल का एआई ने अपोलो रेडियोलॉजी इंटरनेशनल के साथ पार्टनरशिप की है। दोनों ने मिलकर एआई हेल्थ केयर सॉल्यूशन लेकर आ रहे हैं। इस साझेदारी का लक्ष्य ऐसी बीमारियों का शुरुआती स्टेज में पता लगाना है। 

टेक डेस्क. अब इंडियन हेल्थ सेक्टर में नई क्रांति आई है। एक ऐसी टेक्नोलॉजी आई है, जिससे ऐसी बीमारियों का पता शुरुआती स्टेज में पता लगाना है, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं। दरअसल, गूगल का एआई ने अपोलो रेडियोलॉजी इंटरनेशनल के साथ पार्टनरशिप की है। दोनों ने मिलकर एआई हेल्थ केयर सॉल्यूशन लेकर आ रहे हैं। इस साझेदारी का लक्ष्य ऐसी बीमारियों का शुरुआती स्टेज में पता लगाना है।

इन बिमारियों का करेगा डिटेक्ट

इस नई टेक्नोलॉजी से खतरनाक बीमारियों जैसे टीबी, ब्रेस्ट कैंसर और लंग कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता लगाने में मदद करेगा। शुरुआती चरण में बीमारी का पता होने से होने वाली अनहोनी को रोका जा सकता है।

10 साल तक मिलेगी फ्री सर्विस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपोलो रेडियोलॉजी इंटरनेशनल गूगल के एआई मॉडल को भारतीयों के बीच ले जाएगा। ये आने वाले 10 साल के लिए फ्री में स्क्रीनिंग प्रोवाइड कराएंगे। ऐसे में यह ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

टीबी से कई लोगों की होती है मौत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1 करोड़ से ज्यादा लोग हर साल टीबी के चपेट में आ जाते हैं। इनमें से 13 लाख लोग इस बीमारी के कारण मौत हो जाती है। टीबी के कारण ज्यादातर मौतें साउथ एशिया और अफ्रीका रीजन में होती हैं। टीबी का इलाज तो होता तो है, लेकिन उपचार में देरी के कारण यह रोग अन्य लोगों में संक्रमित होता रहता है।

ऐसे पता लगाया जाता है टीबी का

टीबी का पता लगाने के लिए चेस्ट एक्स-रे है। हालांकि भारत में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में यह एक बड़ी समस्या है। ऐसे में गूगल का  एआई सिस्टम टीबी सहित अन्य बीमारियों को डिटेक्ट करेंगा।

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