सार
सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी किया है। इसका उल्लंघन करने पर 10-50 लाख रुपए तक जुर्माना और 1-3 साल तक बैन की सजा मिल सकती है।
नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी किया है। सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को इसका पालन करना होगा। उल्लंघन करने पर 10 से 50 लाख रुपए तक जुर्माना देना पड़ सकता है।
सरकार ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स के लिए उत्पादों और सेवाओं का प्रचार करने पर अपने हितों का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया है। उन्हें बताना होगा कि वे जिस प्रोडक्ट या सेवा का विज्ञापन कर रहे हैं उससे उनका क्या नाता है। क्या उन्हें पैसे मिले हैं या कंपनी से किसी प्रकार का संबंध है। इसका उल्लंघन करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें प्रचार पर प्रतिबंध भी शामिल है। गाइडलाइन का उल्लंघन करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्धारित जुर्माना लागू होगा।
लग सकता है 10-50 लाख तक जुर्माना
सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी मैन्युफैक्चरर्स, एडवरटाइजर्स और एंडोर्सर्स पर भ्रामक विज्ञापन दिखाने पर 10 लाख रुपए जुर्माना लगा सकती है। अगर फिर से गलती हुई तो 50 लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके साथ ही भ्रामक विज्ञापन दिखाने पर 1 साल तक किसी भी तरह के प्रचार करने से रोका जा सकता है। इसके बाद भी उल्लंघन किया गया तो तीन साल के लिए बैन लग सकता है।
1,275 करोड़ रुपए का है सोशल इंफ्लुएंसर्स बाजार
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि दिशानिर्देश उपभोक्ता कानून के दायरे में जारी किए गए हैं। इससे अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ उपभोक्ताओं को सुरक्षा मिलेगी। 2022 में भारत में सोशल इंफ्लुएंसर्स बाजार का आकार 1,275 करोड़ रुपए का था। 2025 तक इसके 2,800 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। सोशल मीडिया पर प्रभाव डालने वाले लोगों (जिनकी अच्छी संख्या में फॉलोअर्स हैं) की संख्या देश में 1 लाख से अधिक है।
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जिम्मेदारी से काम करें सोशल इंफ्लुएंसर्स
रोहित कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया का प्रभाव बना रहेगा। आने वाले दिनों में यह तेजी से बढ़ेगा। इसके चलते सोशल इंफ्लुएंसर्स को जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है। उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार है कि जो व्यक्ति या संस्था किसी प्रोडक्ट या सेवा को प्रायोजित कर रही है उसने इसके बदले पैसा लिया है या उसका ब्रांड के साथ किसी प्रकार का संबंध है।
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