सार

भारत का GSAT-20 सैटेलाइट एलन मस्क के फॉल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च होगा। जानिए इस रॉकेट की खासियत, विश्वसनीयता और लागत।

GSAT-20 to launch by FALCON rocket: भारत अपना सबसे सॉफिस्टिकेटेड ब्रॉडबैंड कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-20 को अगले सप्ताह लांच करेगा। GSAT N-2 नाम से जाना जाने वाला यह सैटेलाइट फॉल्कान 9 रॉकेट पर ऑर्बिट में प्रक्षेपित किया जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रंप के 'पहले दोस्त' एलन मस्क के स्वामित्व वाली कंपनी स्पेसएक्स यह रॉकेट बनायी है।

कितनी है इसकी विश्वसनीयता?

अमेरिकी रॉकेट फॉल्कन 9 स्पेसएक्स का एक आंशिक रूप से रि-यूजेबल रॉकेट है। इस रॉकेट ने 2018 में पहली उड़ान भरी थी। यह रॉकेट करीब 393 लॉन्च का हिस्सा रहा है। लेकिन महज चार बार यह फेल हुआ है। इस रॉकेट की फेल्योर रेट बेहद कम है और सक्सेस रेट 99 प्रतिशत है।

कितनी है इस रॉकेट के लांच की लागत

विशेषज्ञों का कहना है कि फाल्कन 9 रॉकेट के एक समर्पित लॉन्च की लागत औसतन लगभग 70 मिलियन डॉलर है। इसरो की कमर्शियल ब्रांच न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन दुरैराज ने बताया कि स्पेसएक्स के साथ इस पहले लॉन्च पर हमें अच्छी डील मिली। इसरो की जो लांचिंग डेडलाइन थी, उस समय केवल फॉल्कन 9 भारत के लिए उपलब्ध एकमात्र कमर्शियल रॉकेट लांचर था।

70 मीटर ऊंचा होता है स्टैंडर्ड फॉल्कन 9

जीसैट एन-2 सैटेलाइट को फॉल्कन रॉकेट ले जाने वाला है। सैटेलाइट का वजन 4700 किलोग्राम है। भारत ने रॉकेट के लिए एक डेडीकेटेड लॉन्च की मांग की है और इस उड़ान पर कोई सह-यात्री उपग्रह नहीं होगा। स्टैंडर्ड फाल्कन 9 रॉकेट 70 मीटर ऊंचा होता है। लिफ्ट-ऑफ के समय इसका वजन लगभग 549 टन होता है। इसे दो-स्टेज रॉकेट के रूप में डिज़ाइन किया गया है जो 8,300 किलोग्राम तक का भार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) और 22,800 किलोग्राम तक का भार लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) तक उठा सकता है। यह मंगल की कक्षा में लगभग 4,000 किलोग्राम भी ले जा सकता है।

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