सार
नाविक प्रणाली अत्यधिक सटीक है, भारत में 10 मीटर और इसके बाहर 20 मीटर तक की सटीकता प्रदान करती है। नेविगेशन, मैपिंग और लोकेशन-बेस्ड सेवाओं के लिए यह सटीकता महत्वपूर्ण है।
बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जल्द ही अपनी क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली नाविक (NaVIC) को आम जनता के लिए उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है। अब तक, इस सटीक पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग मुख्य रूप से रक्षा और महत्वपूर्ण सरकारी कार्यों जैसे रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है। इन्सपेस के प्रमुख पवन गोयनका ने यह जानकारी साझा करते हुए बताया कि नाविक जल्द ही आम नागरिकों को सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगा।
नाविक परियोजना की पृष्ठभूमि
नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन का संक्षिप्त रूप नाविक, जिसे पहले भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के रूप में जाना जाता था, एक स्वतंत्र उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणाली है जिसे इसरो द्वारा भारत और आसपास के क्षेत्रों में सटीक पोजिशनिंग और रीयल-टाइम नेविगेशन जानकारी प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है।
नाविक प्रणाली में सात उपग्रहों का एक समूह और जमीनी स्टेशनों का एक नेटवर्क शामिल है जो 24/7 काम करते हैं। यह प्रणाली पूरे भारत में और इसकी सीमाओं से 1,500 किलोमीटर तक सटीक स्थान-आधारित नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगी। नाविक दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है: मानक पोजिशनिंग सेवा (SPS), जो आम जनता के लिए उपलब्ध है, और प्रतिबंधित सेवा (RS), जो रणनीतिक उपयोगों जैसे रक्षा के लिए है।
मानक पोजिशनिंग सेवा (SPS): यह नाविक द्वारा प्रदान की जाने वाली एक खुली नेविगेशन सेवा है जो सभी नागरिक उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है। यह दैनिक उपयोग के लिए नेविगेशन और मैपिंग अनुप्रयोगों के लिए सटीक और विश्वसनीय स्थान सेवाएं प्रदान करता है।
प्रतिबंधित सेवा (RS): RS नाविक द्वारा प्रदान की जाने वाली एक एन्क्रिप्टेड नेविगेशन सेवा है जो अधिकृत उपयोगकर्ताओं जैसे सैन्य बलों और सरकारी एजेंसियों के लिए उनके रणनीतिक और संवेदनशील कार्यों के लिए उपलब्ध है।
नागरिक उपयोग का विस्तार
नाविक सेवा को सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराने के लिए, इसरो L बैंड तकनीक (1575.42 मेगाहर्ट्ज) के साथ एक नए उपग्रह को लॉन्च करने की योजना बना रहा है। L1 बैंड सिग्नल क्षमता को बढ़ाएगा और दुनिया भर में GPS-सक्षम उपकरणों के साथ संगत होगा। इस उन्नयन के साथ, नाविक सिग्नल संगत चिपसेट वाले सार्वजनिक रूप से उपलब्ध फोन पर भी काम करेंगे। यह प्रयास नाविक की पहुँच को व्यापक बनाने और दैनिक जीवन में इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए है।
नेविगेशन और पोजिशनिंग पर प्रभाव
1. बेहतर सटीकता: नाविक प्रणाली अत्यधिक सटीक है, भारत में 10 मीटर और इसके बाहर 20 मीटर तक की सटीकता प्रदान करती है। नेविगेशन, मैपिंग और लोकेशन-बेस्ड सेवाओं के लिए यह सटीकता महत्वपूर्ण है।
2. बढ़ी हुई विश्वसनीयता: इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराकर, इसरो नाविक को GPS, GLONASS, Galileo और BeiDou जैसी वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों के विकल्प के रूप में स्थापित कर रहा है। यह विदेशी प्रणालियों पर भारत की निर्भरता को कम करता है और देश की नेविगेशन क्षमताओं को मजबूत करता है।
3. नई तकनीकों को बढ़ावा: नागरिक उपकरणों में नाविक का एकीकरण स्वायत्त वाहनों, ड्रोन और स्मार्ट सिटी सिस्टम जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास को गति देगा। इन तकनीकों के सुचारू संचालन के लिए सटीक और विश्वसनीय नेविगेशन आवश्यक है।
आर्थिक और रणनीतिक महत्व
1. अंतरिक्ष क्षेत्र का विस्तार: इसरो 2025 तक छह GSLV मिशनों सहित 12 उपग्रह प्रक्षेपणों के साथ भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रक्षेपण गतिविधियों में यह वृद्धि निजी क्षेत्र की भागीदारी के अवसर पैदा करती है और उपग्रह प्रौद्योगिकी और सेवाओं में नवाचार को बढ़ावा देती है।
नाविक प्रणाली अत्यधिक सटीक और आत्मनिर्भर नेविगेशन सेवाएं प्रदान करके इसरो के प्रयासों का समर्थन करती है, जिससे उपग्रह मिशनों की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार होता है। विश्वसनीय स्थान डेटा का उपयोग करने वाली नई तकनीकों को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र को सशक्त बनाकर, नाविक विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता को कम करता है और उपग्रह नेविगेशन और संबंधित उद्योगों के लिए एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देता है।
2. अंतरिक्ष कानूनों का विकास: इसरो बढ़ते अंतरिक्ष उद्योग का समर्थन करने के लिए अंतरिक्ष कानून और नीतियां विकसित करने पर काम कर रहा है। ये कानून अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हैं, यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं, और अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश और विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाते हैं।
3. स्वतंत्र क्षमता: नाविक की पहुँच और उपयोग का विस्तार भारत को अपनी नेविगेशन और पोजिशनिंग सेवाओं पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है। यह स्वतंत्रता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता को कम करती है जो भू-राजनीतिक कारकों के अधीन हो सकती हैं।
वैश्विक प्रभाव
1. वैश्विक नेविगेशन में योगदान: अन्य वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणालियों के साथ नाविक की इंटरऑपरेबिलिटी इसरो को दुनिया भर में नेविगेशन नेटवर्क का विस्तार करने में सक्षम बनाती है। यह संगतता दुनिया भर के उपयोगकर्ताओं के लिए नेविगेशन सेवाओं की सटीकता और विश्वसनीयता को बढ़ाती है।
2. वैश्विक सहयोग: इसरो के प्रयास अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और नेविगेशन के क्षेत्र में अन्य देशों के साथ सहयोग के द्वार खोलते हैं। अपनी प्रगति को साझा करके, भारत मजबूत अंतरराष्ट्रीय संबंध बना सकता है और अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी विकास में संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा दे सकता है।
आम जनता के लिए नाविक को उपलब्ध कराने का इसरो का निर्णय भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस कदम के व्यापक प्रभाव हैं, जो प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और समग्र रूप से समाज को प्रभावित करते हैं। नेविगेशन सेवाओं की सटीकता, विश्वसनीयता और उपलब्धता में सुधार करके, इसरो नवाचार को बढ़ावा देता है और वैश्विक नेविगेशन परिदृश्य में योगदान देता है। यह प्रयास न केवल वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की भूमिका को मजबूत करता है, बल्कि भारतीयों और दुनिया भर के लोगों के लिए ठोस लाभ भी लाता है।