सार
मध्य प्रदेश के सागर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक परिवार को सालाना आय केवल दो रुपये का इनकम सर्टिफिकेट जारी किया गया है।
2024 के एशिया पावर इंडेक्स के अनुसार भारत ने जापान को पछाड़कर एशिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश बन गया है। भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, युवा आबादी और कूटनीतिक प्रयासों के कारण भारत ने यह उपलब्धि हासिल की है। वहीं दूसरी ओर देश में एक बड़ी आबादी ऐसी भी है जो गरीबी का दंश झेल रही है। इस हकीकत को उजागर करता एक इनकम सर्टिफिकेट इन दिनों सोशल मीडिया समेत हर जगह वायरल हो रहा है।
यह चौंकाने वाला मामला मध्य प्रदेश के सागर से सामने आया है। सागर में एक परिवार ऐसा भी रहता है जिसकी सालाना आमदनी महज दो रुपये है। दरअसल, इलाके के तहसीलदार ने जो इनकम सर्टिफिकेट जारी किया है, उसमें परिवार की सालाना आमदनी दो रुपये दर्ज है। यह जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स कई सवाल खड़े कर रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि आज के समय में दो रुपये में एक वक्त का खाना भी नहीं मिलता, ऐसे में दो रुपये सालाना कमाई वाला परिवार कैसे गुजारा करता होगा?
बंडा तहसील के घोघरा गाँव के निवासी बलराम चड्ढा का यह इनकम सर्टिफिकेट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। तहसीलदार ने जनवरी 2024 में बलराम को यह सर्टिफिकेट जारी किया था। बलराम चड्ढा के परिवार में कुल पांच सदस्य हैं। आर्थिक तंगी के चलते परिवार के सभी सदस्य मजदूरी करते हैं। परिवार का सबसे छोटा बेटा बलराम चड्ढा 10वीं कक्षा में पढ़ता है। बेटे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने के लिए बलराम ने तहसीलदार को आय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। बलराम ने न्यूज़ 18 को बताया कि जब उन्होंने यह सर्टिफिकेट स्कूल में जमा किया तो स्कॉलरशिप नहीं मिली। जब उन्होंने इसकी वजह शिक्षकों से पूछी तो पता चला कि इनकम सर्टिफिकेट में गलत जानकारी दर्ज है।
बलराम ने बताया कि उन्होंने सालाना 40,000 रुपये आय दिखाई थी, लेकिन उन्हें जो सर्टिफिकेट मिला, उसमें उनकी सालाना आय महज दो रुपये दर्ज थी। वहीं सर्टिफिकेट जारी करने वाले या हस्ताक्षर करने वाले तहसीलदार ने भी इस पर गौर नहीं किया कि सालाना आमदनी कितनी है। सर्टिफिकेट हासिल करने वाले बलराम ने भी इसे चेक नहीं किया। मामला विवादों में आने के बाद तहसील से बताया गया कि सर्टिफिकेट जारी करने वाले कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया है और गलत जानकारी वाले सर्टिफिकेट की जगह नया सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2013-14 में भारत में बहुआयामी गरीबी 29.17 प्रतिशत थी, जो 2022-23 में घटकर 11.28 प्रतिशत रह गई है।