सार

गुजरात में दो साल के बच्चे को मोतियाबंद हो गया। एक्सपर्ट की मानें तो दो साल के बच्चे को मोतियाबिंद दस हजार में से तीन  बच्चों में देखने को मिल सकता है। वहीं, सौ साल मनसुख भाई गांधी को भाई मोतियाबिंद था। डाॅक्टर मनीष रावल ने दोनों का सफल ऑपरेशनन किया है। 

नई दिल्ली। कहा जाता है डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं। गुजरात में सूरत के रहने वाले दो साल के लक्षित और अहमदाबाद के रहने वाले सौ साल के मनसुख भाई गांधी, दोनों को आंखों से धुंधला नजर आता था। उनकी कैटरेक्ट में गड़बड़ी थी और इसकी सर्जरी की जरूरत थी। 

अब सफल सर्जरी के बाद उम्मीद बंधती दिख रही है कि दो साल का लक्षित अब आगे बढ़ते हुए भविष्य की ओर देख सकता है, जबकि मनसुख भाई अपनी खुशहाल पिछली जिंदगी को बेहतर तरीके से याद कर पाएंगे। इसके लिए डॉक्टर मनीष रावल के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए। मनीष रावल शहर के मशहूर नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं। उन्होंने मनसुख भाई गांधी का सफल ऑपरेशन किया। मनसुख भाई शुगर के मरीज हैं। उन्हें ब्लड प्रेशर और थायराइड भी रहता है। साथ ही, पिछले साल वह कोरोना संक्रमण की चपेट में भी आए थे। 

वहीं, लक्षित की दो में से बाये आंख की सर्जरी हो गई है, जबकि दाये आंख की सर्जरी कुछ महीने बाद होगी। लक्षित भी कैटरेक्ट बीमारी की चपेट में है और यह बीमारी उसकी उम्र में दस हजार में से सिर्फ 3 बच्चों को होने के चांस रहते हैं। असल में कैटरेक्ट यानी मोतियाबिंद का इलाज ऑपरेशन से ही हो सकता है। सर्जरी के लिए डॉक्टर प्राकृतिक लेंस को हटाकर कृत्रिम लेंस लगा देते हैं। इसे इंट्रा ओक्युलर लेंस कहते हैं। 

वैसे ऑपरेशन के बाद मरीज देख सकता है। मगर जिनकी आंखों की रौशनी  पहले से कमजोर है, उन्हें काम करने के लिए या पढ़ने-लिखने के लिए चश्मा लगाने की जरूरत पड़ सकती है। ऑपरेशन के बाद मरीज घर जा सकता है। 

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