सार

रफीक संपन्न किसान हैं, इसलिए उन्हें खाने-पीने की दिक्कत नहीं है। मगर परिवार नहीं बढ़ पा रहा उनका। बच्चे नहीं पैदा हो रहे। इसके अलावा, अब तो पैदल एक कदम चलना दूभर हो गया है। डाॅक्टर कहते हैं उनको बुलिमिया नर्वोसा बीमारी है। समय से इलाज हुआ तो ठीक हो जाते। 

नई दिल्ली। बिहार के कटिहार जिले में 30 साल के रफीक का वजन जानकर आप हैरान रह जाएंगे। ये 200 किलो के हैं। साधारण बाइक इन्हें नहीं झेल सकती, इसलिए बुलेट चलानी पड़ती है। रफीक की रोज की डाइट इतनी है कि जितना करीब दस लोग मिलकर खाएं। 

जी हां, रफीक की रोज की डाइट करीब 15 किलो है। इसमें हर  रोज 3 किलो चावल 4 किलो आटे की रोटी, दो किलो नॉनवेज और डेढ़ किलो मछली खाते हैं। यही नहीं, हर रोज तीन बार अलग-अलग समय उन्हें दूध भी चाहिए वह भी एक लीटर हर बार। अब आप समझ सकते हैं रफीक जीने के लिए खा रहे हैं या फिर खाने के लिए जी रहे हैं। रफीक की डाइट को देखते हुए कोई उन्हें अपने घर खाने-पीने के लिए न्योता भी नहीं देता। शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यों में भी नहीं बुलाता। 

रफीक बीमारियां झेल रहे हैं। ठीक से चल भी नहीं सकते। लोग उन्हें धरती का बोझ बुलाते हैं और भी कई मजाक उड़ाते हैं। बीवी भी खुश नहीं है। उनकी भूख को देखते हुए वह अकेले इतना खाना नहीं बना सकती। ऊपर से बीमार अलग। रफीक की हालत ये है कि वे बच्चे भी नहीं पैदा कर पा रहे कि परिवार बढ़े। मगर वे हैं कि उन्हें इस सबसे कोई मतलब नहीं। वे तो बस खाने में मगन हैं। 

रफीक को बुलिमिया नर्वोसा बीमारी, बचपन से इलाज कराना चाहिए था 
हालांकि, रफीक की ये हालत कोई एक या दो दिन या फिर एक या दो साल की नहीं है। वे बचपन से ही इसी तरह रहे हैं। गनीमत ये है कि वे किसान तो हैं, मगर धनी किसान। किसी चीज की कमी नहीं है, इसलिए मामला निपट जाता है। डॉक्टरों की मानें तो रफीक को बुलिमिया नर्वोसा नाम की बीमारी है। इसमें लोग ज्यादा खाते हैं। रफीक के अब्बू-अम्मी  ने शुरू में उनका इलाज नहीं कराया, इसलिए अब रफीक परेशान हैं। डॉक्टरों के मुताबिक टाइम से इलाज शुरू कर देते तो ठीक हो सकते थे रफीक। 

बुलियमिया नर्वोसा में खाते जाओ, मगर मन और पेट दोनों नहीं भरता 
बुलिमिया नर्वोसा नाम की यह बीमारी बेहद घातक है। इसमें आदमी खूब खाता है, मगर पेट नहीं भरता और न ही मन। इसमें आदमी  ज्यादा खाता है। वजन कम करने के लिए कसरत भी खूब करता है। शरीर की  साइज बेडौल हो जाती है। कब्ज और गैस जैसी समस्याओं से बंदा जूझता रहता है। 

एनोरेक्सिया नर्वोसा वाले बिल्कुल उल्टे, मगर दिक्कत उन्हें भी होती है 
इसके अलावा, कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें मोटे होने का डर सताता रहता है। इसे एनोरेक्सिया नर्वोसा कहते हैं। इसमें आदमी कम खाता है और कसरत ज्यादा करता है। यह भी घातक है। इससे शरीर का ढांचा बिगड़ जाता है। इसमें वजन तेजी से घटता है और आदमी बेहोश होने लगता है। चक्कर आता है। थकान रहती है। नींद नहीं आती। कब्ज बना रहता है। 

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