सार
martyrs day 2022 ऐसा कहा जाता है कि भगत सिंह (Bhagat Singh) को लाहौर सेंट्रल जेल के बैरक नंबर 14 में बंद थे। बताया जाता है उन्हें जिस बैरक में रखा गया था उसका फर्श कच्चा था।
ट्रेंडिंग डेस्क. 23 मार्च, 1931 को लाहौर की लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह (Bhagat Singh), शिवराम हरि राजगुरु (Shivaram Hari Rajguru) और सुखदेव थापर (Sukhdev Thapar) को फांसी दी गई थी। इन क्रांतिकारी नेताओं की पुण्यतिथि को भारत में 'शहीद दिवस' (Shaheed Diwas) के रूप में मनाया जाता है। स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का जन्म 1907 में फैसलाबाद जिले (पहले लायलपुर कहा जाता था) के बंगा गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। फांसी से पहले भगत सिंह की एक आखिरी इच्छा थी वो भी पूरी नहीं की गई थी।
इसे भी पढ़ें- Martyrs Day 2022: जरा याद उन्हें भी कर लो! शहीद दिवस पर जानें भगत सिंह के 10 कोट्स, जो रग-रग में भर देंगे जोश
23 साल की उम्र में हुई थी फांसी
भगत सिंह अपनी पढ़ाई छोड़ने के बाद कम उम्र में ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए थे। 23 साल की उम्र में भगत सिंह ने देश के लिए अपने प्राणों न्यौछावर कर दिए थे। भगत सिंह को जब फांसी दी गई थी तब उन्होंने फांसी के फंदे को चूमा था।
नहीं पहचान पाए ते अंग्रेज
ऐसा कहा जाता हैं कि भगत सिंह जलियांवाला बाग हत्याकांड से बहुत दुखी हुए थे। जलियावाला बाग देखने के लिए भगत सिंह ने स्कूल से छुट्टी मार दी थी। भगत सिंह ने एक बार अपनी दाढ़ी मुंडवा ली थी और बाल कटवा लिए थे। जिस कारण से अंग्रेज उन्हें पहचान नहीं पाए थे।
इसे भी पढ़ें- फांसी चढ़ने से पहले भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु ने किया था ये काम, दृश्य देख सबकी आंखें हुई थीं नम
जेल में की की भूख हड़ताल
7 अक्टूबर 1930, को भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने जेल में भूख हड़ताल भी की थी। भगत सिंह को 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी लेकिन उन्हें 11 घंटे पहले ही फांसी दे दी गई थी। जिस कारण से उनकी अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो पाई थी।
क्या थी आखिरी इच्छा
ऐसा कहा जाता है कि भगत सिंह ने जेल में सफाई करने वाले एक कर्मचारी से कहा था कि वह चाहते हैं कि उन्हें फांसी से पहले उनके घर का खाना दिया जाए। ऐसा दावा किया जाता है कि भगत सिंह की आखिरी इच्छा केवल इसी कर्मचारी को पता थी। लेकिन उन्हें तय समय से पहले ही फांसी दे दी गई जिस कारण से उनकी अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो सकी।