सार

हैदराबाद के 73 साल के गंगाधर तिलक कटनम 'रोड डॉक्टर' के नाम से मशहूर हैं, जो पिछले 11 सालों से अपनी जेब से अपनी पेंशन के पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि लोगों को गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचाया जा सके।

ट्रेंडिंग डेस्क : भारत में एक सबसे बड़ी समस्या खराब सड़कों की है। रिपोर्ट्स के अनुसार हर 3.14 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत सड़क हादसे के जरिए होती है। किसी ने भी इन आंकड़ों पर नजर उठाने की जरूरत नहीं समझी, ना ही इस दिशा में कोई पहल करने की। ज्यादातर लोग बस खराब सड़कों के लिए सरकार को ही दोष देते हैं। लेकिन हैदराबाद (Hyderabad) के इस बुजुर्ग कपल ने इन सड़कों को सही करने (fill potholes) का बीड़ा उठाया है ताकि हजारों जाने वह बचा सकें। जी हां, ये दंपति पिछले 11 सालों से अपनी जेब से पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि लोगों को गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचाया जा सके।

'रोड डॉक्टर' नाम से मशहूर
हैदराबाद के 73 साल के गंगाधर तिलक कटनम (Gangadhar Tilak Katnam)  'रोड डॉक्टर' के नाम से मशहूर हैं। वह अपनी पत्नी, वेंकटेश्वरी कटनम (Venkateshwari Katnam) के साथ एक कार में सड़कों पर निकलते और जहां कहीं भी उन्हें कोई गड्ढा मिलता है, वो उसको भर देते हैं। अपनी गाड़ी को भी वह 'पोथोल एम्बुलेंस' यानी गड्ढे भरने वाली गाड़ी कहते हैं। 

इस वजह से शुरू किया ये काम
गंगाधर तिलक कटनम ने कहा, 'गड्ढों के कारण सड़कों पर कई दुर्घटनाएं देखने के बाद मैंने इस मुद्दे के बारे में कुछ करने और इसका हल निकालने का फैसला किया। शुरू में, मैंने पुलिस और नगर पालिका के अधिकारियों के साथ इस मुद्दे के बारे में शिकायत करने की कोशिश की। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद मैंने इन गड्ढों को खुद भरने का फैसला किया है।'

कौन हैं गंगाधर तिलक
गंगाधर तिलक ने लगभग 35 सालों तक भारतीय रेलवे में एक कर्मचारी के रूप में काम किया। अपने रिटायरमेंट के बाद तिलक एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सॉफ्टवेयर डिजाइन इंजीनियर के रूप में काम करने के लिए हैदराबाद आ गए। वह तब से शहर भर में गड्ढों को भरने का काम कर रहे हैं। लोगों को सड़कों के गड्ढों से मुक्त कराने के उद्देश्य से उन्होंने एक साल के अंदर ही सॉफ्टवेयर डिजाइन इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी और तब से शहर के गड्ढों को भरने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। इस काम में उनकी वाइफ भी उनका पूरा साथ देती हैं।

कहां से करते है पैसों का इंतजाम
जब उनसे इन सड़कों को सही करने के लिए होने वाले खर्चे के बारे में पूछा गया तो, गंगाधर ने कहा, 'मैं इसका इंतजाम मुझे मिलने वाली पेंशन से कर रहा हूं। "सड़कों के गड्ढे भरने के लिए आवश्यक सभी सामग्री मेरी पेंशन के पैसों ले खरीदी जाती है।' वह बताते हैं कि पिछले 11 सालों से उन्होंने पूरे शहर में लगभग 2,030 गड्ढों को भरने का काम किया है और इस पर लगभग 40 लाख रुपये खर्च किए।

मदद के लिए आगे आए लोग
उन्होंने बताया कि उनके कार्यों को देखते हुए, सरकारी अधिकारियों ने भी उनकी मदद के लिए आगे कदम बढ़ाया है और उन्हें आवश्यक चीजें है। वह अपने काम को बढ़ाने के उद्देश्य से 'श्रमधन' नामक एक संगठन चलाते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं कभी भी किसी से पैसा/दान नहीं मांगूंगा। लोग स्वेच्छा से गड्ढों को भरने में मदद के लिए कदम बढ़ाएंगे। कई समस्याएं बहुत आसानी से हल की जा सकती है अगर हर कोई दूसरे की मदद करना शुरू कर दे।" आखिर में, उन्होंने कहा, "सड़क से सड़क, हम फर्क लाएंगे।'

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