जब दिल्ली दंगे की आग में जल रही थी, तब एक सिख ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दंगे से प्रभावित अपने पड़ोसियों की जान बचाई। कहा जाता है कि 1984 के सिख दंगों के बाद जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी, पहली बार यह दंगा दिल्ली में हुआ जो लगातार तीन दिनों तक जारी रहा। इसमें तीन दर्जन से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई। दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल के साथ एक सुरक्षा अधिकारी को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस दंगे के दौरान एक सिख ने मानवता और साहस की अनोखी मिसाल पेश की। मोहिन्दर सिंह नाम के इस शख्स ने बुलेट मोटरसाइकिल और स्कूटी के जरिए करीब 60 से लेकर 80 बार अपने मुस्लिम पड़ोसियों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया। उनके इस काम की देशी मीडिया के साथ विदेशी मीडिया में भी जम कर चर्चा हो रही है और सभी उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। 53 साल के मोहिन्दर सिंह ने दंगाइयों से लोगों को बचाने का काम अपने बेटे के साथ मिल कर किया। उनका बेटा जहां बुलेट से लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा रहा था, वे स्कूटी के जरिए यह काम कर रहे थे। लोगों को बचाने के लिए उन्होंने गोकुलपुरी से कर्दमपुरी के बीच एक घंटे में 20 चक्कर लगाए। उन्होंने कई छोटे बच्चों और महिलाओं के साथ हर उम्र के लोगों को सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाया। उन्होंने कुछ लोगों और बच्चों को सिखों की पगड़ी भी पहना दी, ताकि दंगाई उन्हें मुसलमान नहीं समझें। मोहिन्दर सिंह गोकुलपुरी में अपने बेटे के साथ मिल कर इलेक्ट्रॉनिक्स की एक दुकान चलाते हैं। गोकुलपुरी वह इलाका है, जो इस दंगे से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा। बहरहाल, अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को बचाने वाले ऐसे लोग कम ही मिलते हैं। जिन लोगों की जान उन्होंने बचाई है, वे उन्हें कभी नहीं भूल सकते। देखें तस्वीरों में कितना भयानक था दिल्ली का दंगा।